प्रदेश से हो रहा अफसरों का मोहभंग

27 आईएएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर
आरती शर्मा

भोपाल, 28 दिसंबर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का प्रदेश से मोह भंग हो रहा है, यह हम नहीं, आंकड़े कह रहे हैं। दरअसल वर्ष 1989 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी आशीष उपाध्याय के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने से यह मामला एक बार फिर गरमा गया है। आशीष उपाध्याय प्रदेश के अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में प्रमुख सचिव हैं। उन्हें केंद्र में कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया गया है। इससे पहले वह उच्च शिक्षा विभाग में प्रमुख सचिव थे। प्रशासनिक फेरबदल में उन्हें अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की कमान सौंपी गई थी, लेकिन इस पदस्थापना से वह नाखुश बताए जा रहे थे। वर्ष 1984 के आईएएस दंपति विजया श्रीवास्तव और आलोक श्रीवास्तव के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले यह दूसरे आईएएस दंपति होंगे। इनकी पत्नी अलका उपाध्याय भी वर्ष 2016 से दिल्ली में पदस्थ हैं। आशीष उपाध्याय सहित प्रदेश के दो दर्जन से अधिक अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और करीब आधा दर्जन अफसर अभी भी सेंट्रल की पोस्टिंग के लिए प्रयासरत हैं। चुनावी साल में इस तरह सीनियर अधिकारियों के मोहभंग से सरकार की परेशानी बढ़ सकती है। खासकर तब जब प्रदेश में आईएएस अधिकारियों की कमी है। प्रदेश में कुल 356 आईएएस अधिकारी हैं, जिनमें से 27 केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। हालांकि तनख्वाह और भत्तों में इसमें कोई खास असर नहीं आता, लेकिन पद और प्रभाव दोनों बढ़ जाते हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर ऐसे अफसरों को बुलाया जाता है, जिनकी कार्यशैली काफी अच्छी मानी जाती है। सीनियर अधिकारियों में देखा जाए तो वर्ष 1982 बैच की अरूणा शर्मा वर्ष 2016 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। उन्हीं के बैच के जेएस माथुर और राघवचंद्रा भी वर्ष 2010 से डेपुटेशन पर ही हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि जो अधिकारी एक बार दिल्ली का रुख कर लेते हैं, वह दोबारा प्रदेश में आने की चाह नहीं रखते। आशीष उपाध्याय के बैच के अनुराग जैन वर्ष 2011 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। हालांकि उनकी काम करने की शैली से प्रभावित होकर पीएमओ द्वारा ही उनकी सेवाएं बढ़ा ली गई थीं। प्रभावशाली पद पर पीएमओ में पदस्थ अनुराग से उनके कई सीनियर-जूनियर अधिकारी अभी भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के संबंध में चर्चारत रहते हैं। नियमों के अनुसार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की अधिकतम अवधि पांच वर्ष होती है, लेकिन अनुराग जैन, जेएस माथुर, राघवचंद्रा, अरूणा शर्मा, प्रवीर कृष्ण सहित ऐसे कई अधिकारी हैं, जिन्हें एक बार दिल्ली रास आई तो या तो वापस नहीं आए या प्रदेश में आने के बाद दोबारा प्रतिनियुक्ति के लिए प्रयासरत रहे और वापस गए भी। इकबाल सिंह बैंस मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद बीच में ही प्रदेश लौट आए थे। हाल ही के वर्षों में देखने में आया कि सीनियर अधिकारियों के अलावा कुछ नए बैच के अफसर भी पद और प्रभाव की वजह से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने को उत्सुक दिखे हैं। पिछले कुछ अर्से से एक के बाद एक कई अफसरों ने दिल्ली की राह पकड़ी और यह भी तय माना जा रहा है कि ये अधिकारी जल्द ही प्रदेश भी लौटने के इच्छुक नहीं हैं।

अब तक यह अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर

1. 1982 बैच के स्नेहलता श्रीवास्तव, अरूणा शर्मा, जेएस माथुर 2. 1984 बैच के जयदीप गोविंद, आलोक श्रीवास्तव, विजया श्रीवास्तव 3. 1985 बैच के अनिल श्रीवास्तव 4. 1986 बैच के एके जैन, एसपीएस परिहार, पीके दास 5. 1987 बैच के मनोज झालानी, प्रवीर कृष्णा, संजय कुमार सिंह, आरके चतुर्वेदी, अजय तिर्की 6. 1988 बैच के प्रवीर गर्ग, शैलेन्द्र सिंह 7. 1989 बैच के अनुराग जैन, राजीव रंजन और अब आशीष उपाध्याय 8. 1990 पंकज राग, अलका उपाध्याय 9. 1997 बैच के मनीष सिंह 10. 1998 निकुंज श्रीवास्तव 11. 1999 के ई रमेश 12. 2001 के नवनीत कोठारी 13. 2004 के जॉन किंग्सले