काबुल, 29 दिसंबर। यहां के पश्चिमी इलाके में स्थित शिया कल्चरल एंड रिलीजियस ऑर्गनाइजेशन पर एक आत्मघाती हमले की खबर है। इसमें कम से कम 40 लोग मारे गए और 30 जख्मी हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी भी आतंकी गुट ने नहीं ली है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि इस हमले में मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, हमला उस वक्त किया गया जब ऑर्गनाइजेशन के ऑफिस में मीडिया ग्रुप के मेंबर्स चर्चा कर रहे थे। स्थानीय न्यूज ने विदेश मंत्रालय के हवाले से 40 लोगों की मौत और 30 लोगों के जख्मी होने की पुष्टि की है। अफगानिस्तान के अफसरों के मुताबिक, मारे गए लोगों में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और जर्नलिस्ट शामिल हैं।
एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत
इस हमले में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई है। परिवार वाले शवों के बीच में अपनों की तलाश करते रहे। प्रेसिडेंट अशरफ गनी ने इस हमले की निंदा की है और इसे इंसानियत के खिलाफ किया गया गुनाह बताया है।
मई में हुए अटैक में मारे गए थे 90 लोग
बता दें कि इसी साल मई में काबुल स्थित इंडियन एंबेसी के पास भी ऐसा ही अटैक किया गया था, जिसमें कम से कम 90 लोगों की मौत हो गई थी। 300 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। गुलाई दवा खाना इलाके में 24 जुलाई को फिदायीन अटैक किया था। इसमें 24 लोगों की मौत हो गई थी। 42 लोग जख्मी हुए थे।
हमलों में सबसे ज्यादा पिछले साल हताहत हुए
यूनाइटेड नेशंस असिस्टेंस मिशन इन अफगानिस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल अफगानिस्तान में हमलों में 3498 आम लोगों की मौत हुई थी। 7920 लोग घायल हुए। यानी 11418 लोग हताहत हुए। पिछले आठ सालों में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा था। 2015 की तुलना में इसमें 2 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मार्च तक अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक और आतंकी हमलों में 715 लोगों की मौत हुई थी। 1466 लोग घायल हुए थे।
अमेरिकी फौज आने के बाद बढ़ रहीं मुश्किलें
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी और विदेशी सेनाएं अफगानिस्तानी फोर्स की मदद करती रही हैं। फिलहाल यहां 8400 अमेरिकी सैनिक और 5000 नाटो सैनिक हैं। इनका मुख्य काम सलाहकार के रूप में काम करना है। छह साल पहले तक यहां एक लाख से ज्यादा अमेरिकी सैनिक थे। 2011 से 2013 के बीच अमेरिकी फौज की वापसी के बाद यहां आतंकी हमलों में तेजी आई है।