गैंगरेप मामले में हुई सजा में न्यायालय ने भी माना
रजत परिहार
भोपाल, 29 दिसंबर। राजधानी के जीआरपी थाना हबीबगंज के बहुचर्चित गैंगरेप मामले में चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा में न्यायालय ने भी एफएसएल के अति महत्वपूर्ण अंग डीएनए की रिपोर्ट को निर्णयात्मक परिणाम के रूप में माना है। जिसका उल्लेख सविता दुबे अपर सत्र न्यायाधीश भोपाल ने अपने आदेश में किया है। बताया जा रहा है कि बीते माह पहले यूपीएससी की तैयारी कर रही एक छात्रा के साथ चार आरोपियों ने गैंगरेप किया था। जिसमें साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला के निर्देश पर घटनास्थल का निरीक्षण अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक तकनीकी सेवाएं दिनेश चंद सागर ने अपनी एफएसएल टीम के डायरेक्टर डॉक्टर हर्ष शर्मा, एमपी भास्कर तथा दिनेश कुमार शर्मा के साथ किया था। जिसके परिणाम सामने यह आए कि डीएनए की रिपोर्ट में आरोपी गोलू, अमर, राजेश उर्फ चेतराम व रमेश उर्फ सुरेश के डीएनए प्रोफाइल पीडि़ता के स्लाइड से मिले। अर्थात पीडि़ता के वैजाइनल स्लाइड, कपड़े तथा अन्य चीजों से प्राप्त चीजें आरोपियों की डीएनए प्रोफाइल में उपस्थित होना पाया गया। इतना ही नहीं, घटनास्थल से पानी, मिट्टी, कीचड़ तथा नाखून के टुकड़े का मिलान पीडि़ता के कपड़े और आरोपियों के कपड़े, चप्पल में लगी मिट्टी व कीचड़ से स्पष्ट रूप से पाया गया। ऐसी कई प्रकार की चीजें पीडि़ता के डीएनए प्रोफाइल में हैं, जो आरोपियों की प्रोफाइल से मेल खाती है। जो यह साबित करती है कि आरोपीगण के डीएनए प्रोफाइल में पाई गई है। इस डीएनए रिपोर्ट के आधार पर ही गैंगरेप मामले में निर्णयात्मक परिणाम मिले हैं। जिसके कारण चारों आरोपियों को 36 दिनों के अंदर ही आजीवन कारावास की सजा हुई है। वैसे भी देश की सर्वोच्च न्यायालय ने 2006 में धर्मदेव यादव निवासी उत्तर प्रदेश के प्रकरण में अपना फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने कहा था कि फॉरेंसिक साइंस को प्रकरणों की दोषसिद्धि के लिए मजबूत बनाएं, क्योंकि फॉरेंसिक साइंस की रिपोर्ट किसी भी प्रकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही फॉरेंसिक साइंस की जानकारी अभियोजन के अलावा न्यायमूर्ति को भी होना अति आवश्यक है, जिसके लिए कार्यशाला तथा सेमिनार आयोजित करना चाहिए।
इनका रहा सराहनीय कार्य
गैंगरेप के मामले में एफएसएल के करीब एक दर्जन से अधिक लोगों का सराहनीय कार्य रहा है। जिसमें एमपी भास्कर, डॉ. नीलू जैन, स्वप्निला चौहान, सुजाता गौतम, निधि गुप्ता, कुमारी विमला सिंह, बालमुकुंद चौरसिया, सचिंद्र चौरसिया, अभिषेक गुप्ता, नरेश साहू, एम अहिरवार, राकेश उमरे, शाहिद खां, लालजी तथा चंदन सिंह का सराहनीय कार्य रहा है।
इन्होंने तैयार की थी डीएनए रिपोर्ट
गैंगरेप मामले की रिपोर्ट सागर एसएफएल यूनिट द्वारा तैयार की गई थी। जिसमें डॉ. हर्ष शर्मा निदेशक एफएसएल सागर, अनिल कुमार सिंह, पंकज श्रीवास्तव, विनीता गौर, प्रवीश भाटी, डीडी बंसल, एचआर दास, ईला गौतम, कमलेश कैथोलिया, प्रदीप सिंह, शरद आयाम, संदीप दुबे, नंदिनी, वंदना तथा श्राजबाला शिवांगी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।