एक लड़का महात्मा के पास पहुंचा। लड़का बड़ा शैतान था, उसको देखते ही महात्मा ने भांप लिया। इसलिए मनोवैज्ञानिक ढंग से प्रतिबोध देने के लिए महात्मा बोले- बच्चे! तुम तो बड़े तेज दिखाई देते हो। वह अपनी प्रशंसा सुनकर खुश हुआ और कहने लगा – स्कूल में सब लड़के मुझसे डरते हैं। महात्मा अच्छा, तुम सरल काम करना चाहते हो या कठिन? लड़का- मैं कठिन से कठिन काम करना चाहता हूं। महात्मा- तुम्हें कोई गाली दे तो तुम क्या करोगे? लड़का- मुझे कोई एक गाली देगा तो उसको दस गाली सुनाऊंगा। महात्मा- ऐसा करना सरल है या कठिन? लड़का- महात्माजी! यह तो मैं बड़ी आसानी से कर लेता हूं। महात्मा- तुम तो तेज लड़के हो, ऐसा सरल काम क्यों करते हो लड़का कुछ सकुचाता हुआ बोला- अच्छा, आज से मैं कठिन काम करूंगा। महात्मा- गाली सहना बहुत कठिन है। गाली सुनकर गाली देने वाले बहुत मिलेंगे, पर उस समय खामोश रहने वाले विरले ही होते हैं। लड़का- महात्मा जी! जैसा आपने कहा है, मैं वैसा ही कठिन काम करूंगा। लड़का महात्माजी को वचन देकर आगे चला तो उसे एक दोस्त मिला। उसने एक कंकर उस पर फेंका। वह बालक तिलमिला गया। इतने में उसे महात्मा के शब्द याद आ गए। वह शांत खड़ा रहा। सामने वाला बच्चा यह देखकर दंग रह गया। वह बोला- भैया! मैंने अच्छा नहीं किया, क्षमा करना। ऐसा सुनकर उसने संकल्प कर लिया कि जीवन की स्वस्थता के लिए वह से ही काम करेगा।