सरोकार
राजनीति में पक्ष और विपक्ष द्वारा एक-दूसरे पर कटाक्ष किया जाना कोई नई बात नहीं है हां दोनों एक-दूसरे पर कोई कटाक्ष न करे तो बड़ी बात होती है। लेकिन बात जब मर्यादा की हो और एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष पर मर्यादाहीन शब्दों का उपयोग करते हुए आरोप लगाए तो राजनीति की मर्यादा तार-तार जरूर होती है। आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा सकते हैं, किन्तु उसमें भी भाषा की सीमा आवश्यक है। ताजा मामला मध्यप्रदेश में एक कांग्रेस नेता द्वारा भाजपा की महिला विधायक के लिए की गई टिप्पणी का है। भाजपा की सुरखी विधायक पारूल साहू पर की गई कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत द्वारा अभद्र टिप्पणी का मामला गर्माता जा रहा है। जहां पारूल साहू इस मामले को लेकर दिल्ली चलीं गईं वहीं भाजपा महिला मोर्चा ने गोविंद सिंह राजपूत को कांग्रेस से बर्खास्त करने की मांग राहुल गांधी से करने की बात कही है। गोविंद सिंह राजपूत ने एक सभा को संबोधित करते हुए खराब सड़क की तुलना पुरानी शराब से करते हुए भाजपा विधायक को दारूवाली विधायक कहा था जिसे भाजपा ने अब मुद्दा बना लिया है। यह तो एक मामला है लेकिन ऐसे ही न जाने कितने मामले सामने आते रहते हैं। गुजरात चुनाव में मणिशंकर अय्यर का बयान अभी स्मृति पटल से गायब नहीं हुआ है और यह सब तब और महत्वपूर्ण हो जाता है, जब चुनावी समर का बिगुल बजने वाला हो।