किसानों को बी-1 की 4 करोड़ 12 लाख नकलें वितरित :गुप्ता

राजस्व प्रकरणों के निपटारे में हुए सराहनीय कार्य
सत्य नारायण पाठक
भोपाल, 31 दिसम्बर। मध्यप्रदेश में किसानों, ग्रामीणों और आमजनों के राजस्व विभाग से संबंधित मामलों के त्वरित निराकरण के लिए किए गए कार्य सराहनीय हैं और विभाग ने इसके लिए कोई भी कोर-कसर बाकी नहीं है।
राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने राष्ट्रीय हिन्दी मेल के इस प्रतिनिधि से चर्चा में बताया कि राजस्व महा-अभियान के तहत 12 लाख 5 हजार 961 राजस्व प्रकरण दर्ज किए गए और 9 लाख 2 हजार 461 प्रकरणों का निराकरण किया गया। वहीं बात सिर्फ दिसम्बर माह की जाए तो 6 लाख 56 हजार राजस्व प्रकरण दर्ज किए गए और 2 लाख 94 हजार प्रकरणों को निराकरण हुआ है। प्रदेश के किसानों को खसरा एवं बी-1 की 4 करोड़ 12 लाख नकलें नि:शुल्क वितरित की जा चुकी हैं। 2 लाख से अधिक पात्र आवासहीनों को आवासीय पट्टे वितरित कर दिए गए हैं। राज्य सरकार द्वारा पिछले ग्यारह वर्ष में प्राकृतिक प्रकोप से पीडि़त किसानों और अन्य व्यक्तियों को दी जाने वाली राहत राशि चार गुना तक बढ़ा दी गई है। प्राकृतिक आपदा से मृत्यु पर 1994 में 10 हजार, 2006 में एक लाख और 2017 में 4 लाख रुपए दिए जा रहे हैं।
उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुसार राजस्व प्रशासन को सिटीजन फ्रेंडली बनाया जा रहा है। राजस्व प्रकरणों के निराकरण की व्यवस्था को पारदर्शी और जन-कल्याणकारी बनाने के लिए नए सरल कानून बनाने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने, राजस्व विभाग में रिक्त पदों पर समय-सीमा में भर्ती, राजस्व ग्रामों में कोटवारों की व्यवस्था, पटवारियों तथा अन्य राजस्व अमले के प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था, विभाग में पदों के युक्तियुक्तकरण, नजूल के पट्टों के नवीनीकरण, नई बसाहटों का नजूल सर्वे और राजस्व न्यायालयों के लिए रीडरों का नया कैडर बनाने की कार्यवाही जारी है। राजस्व निरीक्षण वृत्तों का पुनर्गठन भी किया जा रहा है। राज्य स्तर पर विधिक सलाह प्रकोष्ठ गठित किया जा रहा है। राजस्व न्यायालयों में संसाधन बढ़ाने के साथ अभिलेखों के संधारण के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब खसरा-खतौनी की नकल प्राप्त करने के लिए किसानों को कलेक्ट्रेट और तहसीलदार व पटवारियों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, उन्हें घर पर ही नकल उपलब्ध हो रही है। यही नहीं अब किसी तरह का आवेदन देने के लिए भी कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, क्योंकि राजस्व से जुड़े सभी तरह के आवेदन ऑनलाइन स्वीकार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव बीपी सिंह ने स्वयं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दूरस्थ अंचलों तक जाकर राजस्व न्यायालयों का आकस्मिक निरीक्षण किया, इससे राजस्व प्रकरणों के निराकरण में काफी तेजी आई और लोगों ने राहत महसूस की। इससे राजस्व प्रशासन में भी कसावट आई है, साथ ही राजस्व प्रकरणों के निराकरण में गुणवत्ता के साथ गति भी दिखाई दे रही है।
राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने बताया कि 25 से 33 प्रतिशत फसल हानि होने पर पहले 2000 से 5000 रुपए दिए जाते थे, लेकिन अब 5000 से 15,000 प्रति हेक्टेयर एवं 33 प्रतिशत से अधिक हानि होने पर जो राशि पहले 3000 से 10,000 थी, अब वही राशि 8000 से 20,000 दी जा रही है। बैल, भैंस और घोड़ा की मृत्यु पर 2006 में 1800 और अब 30,000 दी जाती है। गाय की मृत्यु पर पहले के 1800 की अपेक्षा अब 25,000 रुपए की राहत राशि दी जाती है। राहत राशि में वृद्धि के अनुरूप राजस्व विभाग का बजट भी बढ़ा है। 2005-06 में कुल बजट प्रावधान 577 करोड़ का था, जो 2016-17 में बढ़कर 3829 करोड़ का हो गया है। उन्होने कहा कि राजस्व विभाग प्रदेश की जनता के हित और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए नवाचार भी कर रहा है और मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए प्रदेश के विकास में सहायक सिद्ध हो रहा है।