सरोकार
साल 2017 जा रहा है और 21वीं सदी के अठारहवें साल का आगाज हो रहा है। वैसे तो यह साल बहुत कुछ देकर जा रहा है लेकिन हमने इस साल में खोया भी बहुत है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। कहते हैं कि अठारहवां साल बहुत महत्वपूर्ण होता है यह साल भी सभी के लिए महत्वपूर्ण होगा। बात मध्यप्रदेश की करें तो 2017 में प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी को देश सबसे साफ शहरों में नंबर एक और राजधानी को नंबर दो का तमगा मिला। वहीं राजधानी में हुए एक सामूहिक दुष्कर्म की घटना से प्रदेश को शर्मिन्दगी भी उठानी पड़ी। यही नहीं एनसीआरबी के आंकड़ों में भी उल्लेख किया गया कि देश में सबसे ज्यादा महिला अपराध मध्यप्रदेश में ही हुए। साथ ही राजधानी में प्रेमिका का हत्या कर घर में दफनाकर चबूतरा बनाने के हौलनाक कारनामें से सनसनी फैली रही। राज्य सरकार ने नमामि देवि नर्मदे सेवा यात्रा के माध्यम से नर्मदा की धारा का अविरल करने के प्रयास में कोई कमी नहीं की, एकात्म यात्रा के द्वारा धर्म के रास्ते सभी को एक सूत्र में पिरोने का कार्य जारी है। किसानों के लिए शिवराज सराकर भावांतर भुगतान योजना लेकर आई, तो दूसरी ओर प्याज ने किसानों और व्यापारियों की आंखों के कोर गीले कर दिए। वहीं मंदसौर गोलीकांड की स्मृतियां भी पटल पर शेष हैं। बात राजधानी की शहर सरकार की करें तो शहर के बूचडख़ाने को नेताओं की खींचतान से लेकर कटघरे तक की बात आ गई। हमीदिया अस्पताल परिसर में एक धर्म स्थल का लेकर दो समुदाय आमने-सामने हो गए। व्यापमं मामले की सुनवाई को लेकर पहली बार रात दो बजे तक कोर्ट का खुलना भी चर्चा में रहा। बैरागढ़ के अग्रिकांड में व्यापारियों को जो हानि हुई, वह अविस्मरणीय है। साथ ही राजनैतिक उथल-पुथल एवं प्रशासनिपक फेरबदल भी याद किया जाएगा। वहीं राज्यसभा सासंद अनिल माधव दवे और महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जैसे नेता इस दुनिया से रुखसत हो गए। वैसे उपलब्ध्यिां भी बहुत हैं और दाग भी, लेकिन बात तो तब हो जब आने वाले साल में पिछले अनुभवों से कुछ ऐसे नवाचार हों, जिससे जन मानस पर पड़ी कड़वी स्मृतियों की धूल साफ हो और नए वर्ष में नई भोर की नवीन उजास के साथ आने वाले सनहले भविष्य की नींव रखी जा सके।