नई दिल्ली 31 दिसम्बर। इंदौर के होल्कर स्टेडियम में दिल्ली और मुंबई के बीच खेले जा रहे पांचदिनी रणजी ट्रॉफी फाइनल के मुकाबले के दूसरे दिन शनिवार को सुबह-सुबह शनिदेव का कहर दिल्ली पर टूटा! यह कहर ढाया सेमीफाइनल में अपने बूते कर्नाटक से जीत छीन लेने वाले युवा सीम गेंदबाज रजनीश गुरबानी ने. रजनीश गुरबानी ने हैट्रिक जड़कर वह कारनामा कर दिखाया, जो उनसे पहले इस टूर्नामेंट के इतिहास में शायद ही कोई गेंदबाज कर सका है. बता दें कि कुल मिलाकर यह रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट के करीब 83 साल के इतिहास में बनने वाली कुल 74वीं हैट्रिक रही। रणजी ट्रॉफी में पहली बार कोई हैट्रिक साल 1934-45 में उत्तर भारत के बागा जिलानी ने साउदर्न पंजाब के खिलाफ बनाई थी. बहरहाल रजनीश गुरबानी की हैट्रिक टूर्नामेंट के करीब आठ दशकों के इतिहास में फाइनल में बनने वाली केवल दूसरी ही हैट्रिक रही. उनसे पहले यह कारनामा साल 1973-73 के सेशन में मुंबई और तमिलनाडु के बीच खेले गए रणजी ट्रॉफी के फाइनल में तमिलनाडु के बी कल्याणसुंदरम ने किया था। उन्होंने मुंबई की दूसरी पारी के दौरान आखिरी चार बल्लेबाजों को आउट किया था. बी. कल्याणसुंदरम द्वारा बनाई गई हैट्रिक के बाद करीब 34 साल बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में हैट्रिक बनाने का कारनामा रजनीश गुरबानी के हिस्से में आया। होल्कर स्टेडियम में चल रहे मैच के दूसरे दिन शनिवार को उन्होंने सुबह के सेशन में गुरबानी ने विकास मिश्रा, नवदीप सैनी और इसके बाद उन्होंने जमकर खेल रहे और शतकवीर ध्रुव शौरी (145) को आउट करके इतिहास रच दिया।