अपना घर, अपना गांव, अपना शहर और अपना राज्य नए साल में बनाएं स्वच्छ और करें 2018 का स्वागत

विशेष संपादकीय
विजय कुमार दास

भोपाल 1 जनवरी। देश में महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर 2 अक्टूबर, 2014 को प्रारंभ हुआ स्वच्छता अभियान आज देश की जनता के मानस पटल पर आ गया है। यह वो अभियान है, जिसकी शुरूआत तो सरकार ने की थी, लेकिन अब जनता इसे चला रही है। स्वच्छता अभियान के संदर्भ में बात मध्यप्रदेश की करें तो बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर को देश के सबसे साफ शहरों में नंबर वन और राजधानी भोपाल को दूसरे नंबर का तमगा प्राप्त हुआ है। और इस वर्ष के सर्वे में भी भोपाल की तस्वीर अलग ही दिख रही है। राजधानी की शहर सरकार ने भी भरसक कोशिश की है कि देश के साफ शहरों में अभी जो दूसरा स्थान प्राप्त है, उस पायदान से एक सीढ़ी और आगे बढ़कर भोपाल देश का सबसे साफ शहर कहलाए।
आइए सदी के युवा होने पर मतलब कि 21वीं सदी के अठारहवें साल में प्रवेश करने पर अपनी सोच को जवां करते हुए संकल्प लें कि स्वच्छता अभियान महज एक सरकारी अभियान बनकर न रह जाए। हम अपने घर को तो स्वच्छ रखें ही, इसके साथ-साथ ही घर के आस-पास और शहर की स्वच्छता के लिए भी संकल्पित होकर कार्य करें। एक बात तो स्पष्ट है कि स्वच्छता के लिए सिर्फ आम जनता ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि राज्य सरकार को भी इसके लिए गंभीरता दिखानी होगी। सरकार को अपने तंत्र के जरिए लोगों को जागरुक करने का काम करना होगा। समाज का बुद्धिजीवी वर्ग स्वच्छता कि लिए तो जागरूक हो गया है, लेकिन अपनी सोच में अप्रौढ़ता दिखाने वाले लोग अभी भी समाज में हैं, और आवश्यकता है स्वच्छता को अपनी सोच में लाने की जिससे स्वच्छ विचारों के साथ नव वर्ष का अभिनंदन हो और बात सिर्फ एक दिन की न हो बल्कि साल के सभी दिनों में इसी सोच को साकार करने की बात हो।
नव वर्ष का आगाज जब स्वच्छ विचारों एवं स्वच्छता के साथ होगा, तब साकार होगा महात्मा गांधी वह सपना जो उन्होंने देखा था भारत के लिए और भारत के लोगों के लिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस सकारात्मकता के साथ स्वच्छता अभियान को प्रारंभ किया और क्रियान्वयन किया वह आजादी के पूर्व चलाए गए अभियान से ज्यादा कारगर साबित हुआ। अब बात लोगों के और राज्य सरकारों के पाले में है जिसकी जिम्मेदारी उन्हें ही उठानी होगी। आइए 2018 की नई सुबह में आदित्य के उदय के साथ जैसे ही उसकी उजास धरा का स्पर्श करें, उसी समय एक नए संकल्प के साथ विचारों की स्वच्छता के साथ घर में, आस-पास और शहर को स्वच्छ रखने की बात पर अमल करते हुए पूरे वर्ष और अपने जीवन के प्रतिपल में इन विचारों के प्रतिपादन के क्रियान्वयन पर समर्पित करें।
यह संपादकीय केवल मध्यप्रदेश राज्य के लिए ही लागू नहीं है, इस अवधारणा को छत्तीसगढ़ राज्य में वहां के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी सोचकर लागू कर सकते हैं कि यह नारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक ही सीमित नहीं है, यह नारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी है, मुख्यमंत्री रमन सिंह का भी है और दोनों राज्यों में कार्यरत शीर्ष नौकरशाही से लेकर निचली नौकरशाही के उत्तरदायित्व का भी है। हमारी संपादकीय का मतलब स्पष्ट है जिस तरह दीपावली का त्यौहार आता है और पूरा देश अमीर से लेकर गरीब से गरीब आदमी तक अपने घर की सफाई रंगों की पुताई में लग जाता है और उसे सुंदर बनाने की कोशिश करता है। यूं कहा जाए कि हर परिवार के मन मन मे एक परिकल्पना होती है कि दीपावली के दिन मेरा घर ऐसा सजे, वैसा दिखे और सबसे खूबसूरत भी हो। हम इसी अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए शासन-प्रशासन और घर-घर के हर युवा से यह उम्मीद करते हैं कि एक जनवरी का स्वगत करने के लिए सबसे पहले अपने घर-आंगन को स्वच्छ बनाएं फिर शहर को स्वच्छ बनाएं फिर गांव को स्वच्छ बनाएं फिर राज्य को स्वच्छ बनाएं और करें 2018 का स्वागत और कहें कि पूरे देश में स्वच्छ भारत का मिशन एक जनवरी, 2018 को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को खूबसूरत बनाने में अव्वल आ गया है। इन्हीं शुभकानाओं के साथ राष्ट्रीय हिन्दी मेल के सुधि पाठकों को, शासन-प्रशासन में जिम्मेदार पदों पर बैठे शुभचिंतकों को, राजनैतिक दलों के जिम्मेदार नेताओं को प्रदेश के युवाओं को और कभी- कभी राष्ट्रीय हिन्दी मेल को स्वच्छ एवं निष्पक्ष व निडर पत्रकारिता के लिए सहयोग करने वाले विज्ञापन दाताओं को भी 2018 की सुबह की पहली किरण के साथ हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां।