तरावली कलां निवासी गुलाब सिंह ने बताया
निज संवाददाता
भोपाल, २ जनवरी। जिले के ग्राम पंचायत तरावली कलां निवासी गुलाब सिंह ने हर्षित होते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत प्राप्त राशि से आज मेरा पक्के मकान का सपना साकार हुआ। उन्होंने कहा कि इस योजना की जानकारी मुझे ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के समय आयोजित ग्राम सभा में पंचायत सचिव के माध्यम से हुई। ये योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा एक गरीब व्यक्ति भी पक्के मकान का लाभ ले रहा है। उन्होंने बताया कि हमारे परिवार में कुल 05 सदस्य हैं। पहले हम कच्ची दीवारों से बने कवेलू के घर में रहते थे।
बारिश के समय बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। गुलाब सिंह ने बताया कि इस योजना के तहत पंचायत सचिव को आवश्यक दस्तावेज देने के उपरांत तीन किश्तों में प्राप्त राशि एक लाख बीस हजार से तीन चरणों में पक्का मकान बनाया। मैंने स्वयं भी मजदूरी का कार्य कर मनरेगा योजना के अंतर्गत राशि 14000 रूपये का लाभ भी लिया। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास की महत्वपूर्ण योजनाश् के तहत पक्का मकान बनने के कारण हमारी कई परेशानियाँ दूर हो गई हैं। आज मैं और मेरा परिवार बहुत खुश हैं। मजदूरी तथा अन्य कार्य करके अपने परिवार का भरण-पोषण आसानी से कर रहे हैं। आज मैं गर्व से कह सकता हूँ कि मेरे पास भी पक्का मकान है।
दुग्ध व्यवसाय ने संवारा जैराम का जीवन
पशुपालन विभाग की आचार्य विद्यासागर योजना जैराम नगपुरे के लिए सुनहरे दिन लेकर आयी। इस योजना से उसकी आय में ईजाफा तो हुआए साथ ही उसकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो गई और जीवन स्तर भी सुधर गया। बालाघाट जिले के लालबर्रा विकासखंड के ग्राम धपेरा ;मोहगांवद्ध निवासी जैराम नगपुरे पांच एकड़ में धान की खेती करता था। धान की खेती से इतनी आवक नहीं होती थी कि परिवार का बेहतर गुजारा हो सके। परिवार की अतिरिक्त आय के लिए जैराम दूध का धंधा भी करता था। उसके पास पहले मात्र 2 भैंस थी जिससे प्रतिदिन 18 लीटर दूध ही मिलता था। गाय.भैंस पालने के शौकीन जैराम को दो भैंसों के दूध से बहुत कम आय हो पाती थी। लालबर्रा के पशु चिकित्सक डॉ. जीएन सिंह ने जैराम को आचार्य विद्यासागर योजना की जानकारी दी और बताया कि उसे उन्नत नस्ल की दुधारू पशु खरीदने के लिए बैंक से ऋण मिल जायेगा। इस योजना के तहत जैराम को सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की मोहगांव शाखा से 5 लाख रुपये का ऋण मंजूर हो गया। ऋण की राशि से जैराम ने संकर नस्ल की 5 जर्सी गाय खरीदी। आज जैराम के यहां 75 से 80 लीटर दूध का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। जैराम अपनी गायों का दूध गांव की ही दुग्ध सहकारी समिति को बेच देता है। उसे 18 से 20 हजार रुपये की मासिक आय हो जाती है। अब जैराम की आय पहले से दोगुना हो गई है। साथ हीए खेती के लिए गोबर की अच्छी खाद भी मिलने लगी है। आज जैराम अपने परिवार का गुजारा अच्छे से करने के साथ ही बैंक ऋण की किश्त भी खुशी.खुशी अदा करता है।
दुग्ध व्यवसाय ने संवारा जैराम का जीवन
पढ़-लिखकर नौकरी की तलाश में समय गंवाने की बजाए स्वयं का रोजगार स्थापित करना ज्यादा उचित समझा सोनू अहिरवार ने। मुख्यमंत्री स्व.रोजगार योजना का लाभ उठाकर राईस मिल स्थापित कर सोनू न केवल आत्मनिर्भर हुआ हैए बल्कि वह अन्य 3 व्यक्तियों को रोजगार भी दे रहा है। सोनू अहिरवार के पास न तो कृषि भूमि थी और न ही कोई पैतृक व्यवसायए जिससे वह अपना जीविकोपार्जन कर पाता। मुख्यमंत्री स्व.रोजगार योजना में ऋण प्राप्त कर दसवीं पास सोनू अब राईस मिल का मालिक है। सोनू ने बताया कि मिल चालू होने के शुरूआती महीनों में ही बैंक की किश्तए कर्मचारियों का वेतन एवं मिल के समस्त खर्चों को निकालकर लगभग 25 हजार रूपए महीने से अधिक की बचत हो रही है। सोनू को उम्मीद है कि आने वाले समय में उसका कारोबार और बढ़ेगा। सोनू ने बताया कि 15 से 20 क्विंटल धान अभी प्रतिदिन आ रही है। रायसेन के वार्ड क्रमांक.18 संजय नगर निवासी सोनू अहिरवार ने बताया कि उसे समाचार पत्र के माध्यम से पता चला कि वह भी मुख्यमंत्री द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए संचालित स्वरोजगार योजना के अंतर्गत ऋण प्राप्त कर स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकता है।
दसवीं पास सोनू दे रहा है दूसरों को रोजगार
अगले दिन सोनू ने जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के कार्यालय में जाकर अंत्यावसायी अधिकारी से पूरी जानकारी ली और स्वयं का रोजगार स्थापित करने का निर्णय लिया। सोनू ने इससे पहले विभिन्न रोजगारों के बारे में जानकारी ली और कई अनुभवी लोगों से चर्चा की। सोनू ने रायसेन जिले में तेजी से बढ़ रहे धान के उत्पादन को ध्यान में रखते हुए राईस मिल लगाने का निर्णय लिया। सोनू ने अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के कार्यालय में 10 लाख रूपए के ऋण के लिए आवेदन दिया। अंत्यावसायी अधिकारी द्वारा 10 लाख रूपए का ऋण स्वीकृत किया गया। सेंट्रल बैंक ने सोनू को 10 लाख रूपए का ऋणदिया। इसमें दो लाख रूपए की अनुदान राशि सरकार की ओर से दी गई है।