कोट्टायम, केरल, 5 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की माने तो संविधान, लोकतंत्र और सेना के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही है जो देशवासियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है और सेकुलरिज्म के विचार को धर्म से अलग नहीं करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज केटी थॉमस रविवार को कोट्टायम में आरएसएस के इंस्ट्रक्टर ट्रेनिंग कैंप को संबोधित कर रहे थे, उन्होंने कहा, आपातकाल से देश को आजादी दिलाने का श्रेय किसी को दिया जाना चाहिए तो मैं उसका श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दूंगा। थॉमस ने कहा, मैं महसूस करता हूं कि संघ अपने कार्यकर्ताओं में देश की सुरक्षा के संस्कार पैदा करता है। उन्होंने कहा कि सांप भी अपने हमलावरों से बचाव के लिए जहर रखता है, इसी तरह व्यक्ति की बहादुरी हर किसी पर हमले के लिए नहीं होती। उन्होंने कहा, आरएसएस की तारीफ की जानी चाहिए कि उसने लोगों को सिखाया कि शारीरिक मजबूती हमलों से बचाव के लिए होती है, मैं समझता हूं कि संघ की शारीरिक ट्रेनिंग किसी भी तरह के हमले के समय देश और समाज की रक्षा के लिए है।
थॉमस ने कहा, अगर पूछा जाए कि भारत में लोग सुरक्षित क्यों हैं, तो मैं कहूंगा कि देश में संविधान है, लोकतंत्र है, सेना है और चौथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है, मैं यह इसीलिए कह रहा हूं क्यों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आपातकाल के खिलाफ काम किया, संघ की मेहनत और संरचनात्मक कार्यों ने यह सुनिश्चित किया कि इमरजेंसी बहुत दिन तक नहीं चल सकती, इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी समझा। शीर्ष कोर्ट के रिटायर्ड जज ने कहा कि वे इस तथ्य से इत्तेफाक नहीं रखते कि सेकुलरिज्म धर्म की रक्षा के लिए है, उन्होंने कहा कि भारत में हिंदू शब्द एक धर्म का बोध कराता है।