राष्ट्रीय कला उत्सव-2017 का समापन

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली का संयुक्त आयोजन
भोपाल। माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को पोषित और प्रस्तुत करने का अवसर देने के उद्देश्य से भोपाल शहर के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में 03 जनवरी, 2018 से चल रहे राष्ट्रीय कला उत्वस – 2017 का आज दिनाँक 06 जनवरी, 2018 को दिल को छू लेने वाली लोक कलाओं पर आधिरित प्रस्तुतियों के बीच समापन हुआ।
निदेशक, एनसीईआरटी ने बताया कि 120 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की प्रस्तुतियाँ विशेष आकर्षण का केन्द्र रहीं। विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और कला क्षेत्रों से संबंधित 1300 स्कूली बच्चों और शिक्षकों ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की थीम को मिलकर जीवंत बना दिया।
संगीत, नृत्य, दृश्यकलाएँ व नाट्यकला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रस्तुतियाँ देने 1100 बच्चों की कला का मूल्याकंन संबंधित कला के प्रख्यात जूरी सदस्यों द्वारा किया गया था। सभी जूरी सदस्यों को माननीय केन्द्रीय राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने प्रतीक चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया।
इन जूरी सदस्यों में संगीत क्षेत्र से पद्मश्री गुंदेचा बन्धु उमाकांत एवं श्री रमाकांत, पदमश्री उस्ताद एफ. वसीफुद्दीन डागर, दृश्यकला में प्रोफेसर वी रमेश और प्रख्यात चित्रकार प्रोफेसर मनीष पी. पाटिल, ललितकला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर रवीन्द्र रेड्डी, प्रोफेसर राजीव लोचन, नृत्य क्षेत्र से स्कालर एवं कॉरियोग्राफर प्रोफेसर अमिता दत्त, शीर्ष कत्थक नृत्यांगना सुश्री प्रेरणा श्रीमाली, नृत्यांगना एवं गायिका प्रोफेसर दीप्ति भल्ला; नाटय विधा से प्रसिद्ध नाटकार परवेज़ अख़्तर, संजय उपाध्याय और थिएटअर विशेषज्ञ डॉ. गोविन्द राजू भारद्वाज ने बच्चों की कलात्मक प्रतिभा को परखा था।
अनिल स्वरूप, सचिव स्कूल शिक्षा, भारत सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की कला प्रतियोगिता में सभी का प्रर्दशन उत्कृष्ट रहा है और सभी बधाई के पात्र हैं। समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि आलोक संजर, लोकसभा सदस्य, ने कहा कि कला में वह ताकत है जो सभी संकटों से हमें बाहर निकालकर मजबूत बनाती है। प्रोत्साहान और सम्भावनाओं का मंच कला उत्सव में नृत्य के क्षेत्र में केरल के बच्चों ने हिमाचल प्रदेश का नृत्य पंगी की प्रस्तुति देकर प्रथम स्थान प्राप्त किया, असम के बच्चों ने राजस्थानी लोक नृत्य प्रस्तुत करके द्वितीय और गुजरात ने छत्तीसगढ़ी नृत्य व सिक्कम के बच्चों ने भांगड़ा करके तृतीय स्थान पाने में सफल रहे।
भारत की आत्मा से जुड़े लोक संगित की विधा में असम के बच्चों ने प्रथम, केरल व तामिलनाडु ने द्वितीय और गोवा व कर्नाटक की टीम तृतीय स्थान पाने में सफल रहीं। परम्परागत दृश्यकला में सोहरी चित्रकला का प्रर्दशन करने वाले झारखंड के बच्चों को प्रथम स्थान मिला वहीं गोवा को भित्ति चित्रों के लिए द्वितीय तथा कथाओं को चित्रों में उकेरने वाले महाराष्ट्र के बच्चों को तृतीय स्थान मिला। नाट्यकला में यक्षगान परम्परा से जुड़े कर्नाटक राज्य को प्रथम स्थान, असम व पश्चिम बंगाल को द्वितीय तथा पुदुचेरी के बच्चों को तृतीय स्थान मिला।
सभी विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत करने के बाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय मंत्री श्री कुशवाहा ने कहा कि मुझे यहाँ बच्चों का हौसला बढ़ाने के लिए बुलाया गया है परंतु आप बच्चों ने अपनी कलात्मक प्रतिभा का जो शानदार प्रर्दशन किया है उसे जानकर मेरा हौसला बढ़ गया है। उन्होंने आगे कहा कि अगर आपको एक साथ भारत दर्शन करना है तो कला उत्सव में उपस्थित हो जाइए। बच्चों के द्वारा इस उत्सव के माध्यम से दूसरे राज्यों की कला को जानना-सीखना सचमुच कर्ह मायनों में महत्वपूर्ण है। हमारे पूरे देश मे कला के रंगों की कई विधाएँ हैं ओर कला उत्सव में सभी मिलकर एक मनभावन इन्द्रधनुष की रचना करते हैं। यही हमारे देश की विशेषता है। माननीय प्रधानमंत्री जी की इच्छा है कि भारत पूरे विश्व में फिर से श्रेष्ठता का सिरमौर बने। कला उत्सव जैसे कार्यक्रमों से इस तरह के लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी मदद मिलती है। राष्ट्रीय कला उत्सव 2017 को प्रोफेसर ज्योत्सना तिवारी, एन.सी.ई.आर.टी ने कोआर्डिनेट किया था।