बिजली की अधिकतम मांग पहुंची 12 हजार 240 मेगावाट

प्रदेश में 60 दिन तक बिजली की मांग 11 हजार मेगावाट से ऊपर
भोपाल, 7 जनवरी। मध्यप्रदेश सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के फलस्वरूप अब यह राज्य उन चुनिंदा राज्यों की श्रेणी में शामिल हो चुका है, जहाँ सभी उपभोक्ताओं के साथ ग्रामीण क्षेत्र के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली-आपूर्ति की जा रही है। साथ ही कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली प्रदाय की सुदृढ़ व्यवस्था भी है।
मध्यप्रदेश के ऊर्जा सेक्टर के लिए वर्ष 2017 को बिजली की अधिकतम माँग एवं रिकार्ड सप्लाई के लिए याद किया जाएगा। मध्यप्रदेश में पहली बार रबी सीजन में 60 दिन बिजली की अधिकतम मांग 11 हजार मेगावाट से ऊपर रही, वहीं आठ दिनों तक बिजली की अधिकतम मांग 12 हजार मेगावाट से ऊपर दर्ज हुई। इस वर्ष 17 नवम्बर को बिजली की अधिकतम सप्लाई 2355.12 लाख यूनिट रही। साल 2017 में अब तक की अधिकतम माँग 28 दिसंबर को 12 हजार 240 मेगावाट रही।
14 साल में ढाई गुना की वृद्धि
प्रदेश में 14 वर्षों में बिजली की अधिकतम मांग में ढाई गुना की वृद्धि हुई है। वर्ष 2003-04 में बिजली की अधिकतम मांग 4,984 मेगावाट थी। वहीं इस वित्तीय वर्ष में अभी तक यह मांग 12 हजार 240 मेगावाट तक पहुँच गई है। इस प्रकार पिछले 14 वर्ष में अधिकतम मांग में ढाई गुना वृद्धि हुई है।
गत 28 दिसम्बर को जब बिजली की अधिकतम मांग 12 हजार 240 मेगावाट थी, उस समय पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (इंदौर व उज्जैन संभाग) में बिजली की अधिकतम मांग 4,841 मेगावाट, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (भोपाल व ग्वालियर संभाग) में 4,149 मेगावाट और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (जबलपुर, सागर व रीवा संभाग) में 3,250 मेगावाट दर्ज हुई।
ऐसे हुई बिजली सप्लाई
जब बिजली की अधिकतम मांग 12 हजार 240 मेगावाट दर्ज हुई, उस समय बिजली की सप्लाई में ताप व जल विद्युत गृहों का उत्पादन अंश 3,312 मेगावाट, इंदिरा सागर-सरदार सरोवर-ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना का अंश 195 मेगावाट, एनटीपीसी व डीवीसी (सेंट्रल सेक्टर) का अंश 3,286 मेगावाट, सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट का अंशदान 1,334 मेगावाट और आईपीपी का अंश 1,168 मेगावाट रहा। बिजली बैंकिंग से 1,867 मेगावाट व अन्य स्त्रोत जिनमें नवकरणीय स्त्रोत भी शामिल हैं, से प्रदेश को 1,078 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई।