भारी भरकम बजट भी नहीं सुधार पाया बुंदेलखंड के हालात

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करेगा मामले की सुनवाई

एनएल चंद्रवंशी/9425003698
भोपाल,7 जनवरी। बुन्देलखण्ड में आर्थिक तंगी से 13 साल में 1187 किसानों द्वारा की गई खुदकुशी मामले में रााष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करेगा मामले की सुनवाई करने जा रहा है। केंद्र सरकार से मिले भारी भरकम बजट भी बुंदेलखंड के हालात नहीं सुधार पाया है।
बुंदेलखंड में कुल 30 लाख हैक्टर जमीन है जिसमें से 24 लाख हैक्टर खेती के लायक है। लेकिन इसमें से सिंचाई की सुविधा महज चार लाख हैक्टर को ही उपलब्ध है। केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि बुंदेलखंड में बरसात का महज दस फीसद पानी जमा हो पाता है। शेष पानी बड़ी नदियों में बह जाता है। इस क्षेत्र के बीते पानी को रोकने में सरकार विफल होते जा रही है।
प्राप्त जानकारी अनुसार बुंदेलखंड में केंद्र सरकार द्वारा करोड़ो का बजट जारी हुआ लेकिन यह राशि फाइलों में सरकार के तरक्की के दांवो को उजागर कर रही है। कफन के नहीं होने की वजह दलित महिला का अंतिम संस्कार किए जाने और आर्थिक तंगी से पत्नि का ईलाज ना करा पाने से एक मजदूर आत्महत्या कर लेता है। ऐसे मामलों को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की डायरी क्रमांक 181578/2017 पर मामला दर्ज कर सुनवाई करने जा रहा है।
इन लोंगो ने की खुदकुशी
बेरोजगारी व आर्थिक तंगी से परेशान होकर धनीराम कुशवाहा ने 30 दिसम्बर 2017 को ,राकेश लखेरा महोबा 30 दिसम्बर 2017 बल्देवगढ़ के गावं के किसान हजारी लाल आदिवासी ने 3/12/17 को आत्महत्या कर ली वहीं निवाड़ी के गॉव मै 16 वर्षीय पवन अहिरवार ने अपने ही घर में 2 जनवरी 18 को मौत गले लगा लिया है। मनीराम कोदर गोरगांच छतरपुर ने 30 नवम्बर 2017 और शंकरलाल साहू देवरी ने 19 दिसम्बर 2017, लल्कू रैकवार टीकमगढ़ 19 दिसंबर 17, राजकुमारी सौंर टीकमगढ़ 11. नवंबर 17 और ब नन्ही देवी की भूक से मौत होने मामला सामने आ चुके है।