सरकार की एकात्म यात्रा पर रिटायर्ड अधिकारी का चिट्ठी बम

चरण पादुका सिर पर रखने को बताया सामाजिक समरसता
प्रशासनिक संवाददाता
भोपाल, ८ जनवरी। प्रदेश में निकाली जा रही एकात्म यात्रा को लेकर सरकार पर रिटार्यस आईएफएस अधिकारी ने सरकार पर चिट्टी बम से बार किया है। मध्यप्रदेश शासन एवं जन अभियान परिषद के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एकात्म यात्रा के दौरान मंडला कलेक्टर सुश्री सूफिया फारुखी द्वारा शंकराचार्य की चरण पादुकाएं सिर पर रख कर एकात्म यात्रा में चलना कलेक्टर जैसे अधिकारी की छबी को धूमिल करने से कम नहीं है।
पूर्व सेवानिवृत आईएफएस अधिकारी आजाद सिंह डबास ने सरकार पर चिट्टी से बार कर उनकी यात्रा पर सवालिया निशान लगाने के साथ ही आरोप लगाया है कि शासकीय आयोजन में शामिल होना जिले के कलेक्टर का दायित्व हो सकता है ,लेकिन मण्डला कलेक्टर सुश्री सूफिया फारुखी द्वारा शंकराचार्य की चरण पादुकाएं सिर पर रख कर एकात्म यात्रा में चलना कलेक्टर जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों को ऐसा करने के लिए दबाव दिया जाना आशोभनीय से कम नहीं है। जन अभियान परिषद मध्यप्रदेश शासन का ही एक उपक्रम है अत: यह योजना घोषित रूप से पूर्णत: शासकीय है।
लेकिन सामाजिक समरसता के बजाय जिले का सर्वागींण विकास एवं कानून व्यवस्था जैसे विषय पर कलेक्टर के लिये ज्यादा महत्वपूर्ण होने चाहिये। उन्होने आरोप लगाया किकलेक्टर समेत जिले के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की प्राथमिकता में उनके मूल कर्तव्यों का पालन सुनिश्चित करना नहीं रह गया है अपितु वरिष्ठ अधिकारी ऐसे कार्यक्रमों में ज्यादा रुचि लेते दिखाई दे रहे हैं। जिनसे उनका जिले में स्थायित्व बना रहे। कलेक्टर मण्डला का एकात्म यात्रा में शामिल होना अपने बहुमूल्य समय को व्यर्थ करना प्रतीत होता है। गौरतलब है कि मण्डला एक आदिवासी बाहुल्य जिला है। प्रदेश गठन के भी जिले के स्थानीय आदिवासियों के बच्चों के लिये न तो ठीक से शिक्षा का प्रबंध हो पाया है और ना ही चिकित्सा व्यवस्था का। ज्यादातर स्थानीय आदिवासियों द्वारा कृषि भी आधुनिक तरीके से नहीं अपितुपारम्परिक रूप से ही की जा रही है। सिंचाई सुविधाओं का नितांत अभाव होने के साथ ही कृषि के लिये उचित खाद, बीज, दवा एवं ऋण की व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी है जिससे मण्डला जैसे आदिवासी जिले में कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं हो पा रही है।
जिले के आदिवासी अत्यंत गरीबी में जीने के लिये अभिषप्त हैं जिसका सीधा असर जिले के वनों के संरक्षण एवं संवर्धन पर पडऩे के साथ जिला तेजी से अपनी वन संपदा को खोने की राह पर है।
श्री डबास द्वारा लिखे गए पत्र में विकास कार्यों के अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा किये जाने वाले भूमि के नामान्तरण एवं बटवारे जैसे मूल राजस्व कार्य लंबित पड़े हुये हैं। मंडला के साथ-साथ प्रदेश के समस्त जिलों में राजस्व के मूल कार्य पिछड़े हुऐ हैं राजस्व के प्रकरण न्यायलयों में न्यायलयीन प्रकरणों के ढ़ेर लगे हुये हैं।