डॉ. हिदायत अहमद खान
जैसी की उम्मीद थी राजद सुप्रीमों और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने आर्थिक जुर्माने के साथ ही साढे तीन साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही जहां कयासों का दौर खत्म हुआ तो वहीं राजनीतिक गलियारे में मौजूद अन्य दागी नेताओं पर सभी की नजरें टिकती चली गईं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि यदि सही तरीके से इन दागियों पर कानूनी शिकंजा कसा जाए तो 80 फीसद नेता जेल में होंगे और तब विपक्ष ही नहीं बल्कि सरकार में बैठे लोगों को भी अपने दागियों को बचाने में पसीना आ जाएगा। दरअसल चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारों से मांगे जाने वाले घोषणा-पत्र से ही इनके दागी होने के अनेक सबूत मिल जाते हैं। ऐसे ही आरोपियों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का नाम भी शामिल किया जाता है। बहरहाल यहां हम पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के चारे घोटाले की बात कर रहे हैं, जिसमें उन्हें सजा सुनाई गई और उसे लेकर राजनीतिक भूचाल आया हुआ है। लालू को यह सजा चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से अवैध तरीके से 89.27 लाख रुपये निकालने के मामले में सुनाई गई है। अब यदि लालू समेत अन्य दोषियों को जमानत चाहिए तो उन्हें उच्च अदालत में अर्जी लगाना होगा। विडियो कॉन्फ्ऱेंसिंग के जरिए लालू समेत अन्य दोषियों को रांची की बिरसा मुंडा जेल में ही जज का फैसला सुनाया गया। इससे संदेश गया कि यदि अदालत में लालू की मौजूदगी में अदालत का फैसला आता तो लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को संभालना पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों को मुश्किल हो सकता था। राजनीतिक परिदृष्य में लालू की छवि आकर्षक और चुम्बकत्व वाली रही है। इस कारण भी इस तरह के फैसले लेने में सावधानी बरतना समझ में आता है। वहीं दूसरी तरफ मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने दोषियों को अधिक से अधिक सजा देने की मांग की थी जबकि लालू के वकील ने उनकी अधिक उम्र के साथ ही साथ खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कम से कम सजा देने की सीबीआई अदालत से अपील की। लालू की उम्र और बीमारी के चलते लोगों को अब उन पर दया आ रही है, सहानुभूति अब लालू के साथ लोगों की साफ नजर आने लगी है। इस सहानुभूति का लाभ कहीं न कहीं राजद और उनके परिजनों को मिलेगा ही मिलेगा। कहा जा रहा है कि चारा घोटाला इतना पुराना हो चुका है कि लालू बिना सजा के भी अधिकतम सजा भुगत चुके हैं। इसके विपरीत बिहार में लालू-नीतिश गठजोड़ टूटने और नीतिश के भाजपा खेमें में चले जाने से यह तो तय हो गया कि लालू को अब कम से कम तीन और ज्यादा से ज्यादा दस साल तक की सजा हो सकती है। इसके पीछे लालू और उनके परिजनों की राजनीति को पूरी तरह खत्म करने की साजिश होना बताया गया। उस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार खुद भी आरोपी रहे हैं और उन पर लालू ने गंभीर आरोप भी लगाए थे। सबूत के तौर पर लालू ने चुनाव आयोग में दिए गए नीतिश के घोषणा पत्र को सार्वजनिक किया था। जैसा कि कहा जाता है कि ‘सैंय्या भए कोतवाल तो फिर डर काहे का’ अत: जब केंद्र में मोदी सरकार है और उनके पाले में नीतिश चले गए तो फिर किसी प्रकार के भय को क्योंकर पाला जाएगा। इसके साथ ही बिहार के राजनीतिक समीकरण भी तेजी में बदले, यहां तक कि शरद यादव ने भी नीतिश का साथ नहीं देने का ऐलान किया, लेकिन उसका भी असर दिखाई नहीं दिया और यह कदम उनके लिए मानों पत्थर पर सिर पटकने जैसा साबित हुआ और देखते ही देखते पार्टी से बाहर होने के बाद राज्यसभा की सदस्यता भी उन्हें गंवानी पड़ गई। इससे स्पष्ट है कि लालू को सजा दिलवाने के बाद भी विरोधी खेमा खामोश बैठने वाला नहीं है, बल्कि अब वो लालू के परिजनों पर शिकंजा कसेगा। इसी के चलते पहले जहां लालू के बेटों को सत्ता से बेदखल किया गया तो वहीं उनकी बेटी मीसा पर लगातार ईडी ने दबाव बनाने का काम किया। यह देखते हुए तेजस्वी यादव ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतिश कुमार को हमेशा से लालू प्रसाद का डर था, उन्हें साजिश के तहत झूठे मुकदमे में फंसाया गया। बावजूद इसके तेजस्वी ने पार्टी में बिखराव की खबरों को सिरे से नकारते हुए भरोसा दिलाया कि ‘पार्टी एकजुट है और सभी मिलकर संघर्ष करेंगे।’ तेजस्वी का दर्द इस बात को लेकर भी है कि पूरे परिवार को परेशान किया जा रहा है, जबकि लालू के दूसरे बेटे तेज प्रताप यादव ने न्यायपालिका पर भरोसा जताते हुए कहा है कि ‘हम पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उनके पिता लालू को जमानत मिल जाएगी।’ अब देखना यह है कि लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी इस मामले को किस तरह जनता के बीच में ले जाती हैं, क्योंकि यह वही दौर है जिससे या तो पार्टी को जनता का जबरदस्त समर्थन मिल सकता है या फिर पार्टी बिखर भी सकती है। अंतत: न्यायिक लड़ाई लडऩे के साथ ही साथ लालू परिवार को अब राजनीतिक चुनौतियों का भी डटकर मुकाबला करना होगा, तभी उनके पीछे लोगों का हुजूम दिखाई देगा, अन्यथा राजनीतिक जिंदगी में भूचाल तो आ चुका है, जिसके प्रभाव से सब कुछ तहस-नहस होने की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है।