ईको सिस्टम डॉक्यूमेंट प्रोजेक्ट के लिए वल्र्ड बैंक से 155 करोड़ स्वीकृत
एनएल चंद्रवंशी (9425003698)
भोपाल, 9 जनवरी। वन विभाग प्रदेश में पर्यावरण बचाने व प्रदूषण की रोकथाम के लिए ग्रीन इंडिया मिशन प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए वल्र्ड बैंक से 24.64 मिलियन डालर यानी 150 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। मप्र के 18 और छत्तीसगढ़ के 11 वन मंडलों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है। ग्रीन इंडिया मिशन पायलट प्रोजेक्ट जैव विविधता से समृद्ध वन क्षेत्र को ध्यान में रखकर मप्र और छत्तीसगढ़ के जंगलों में सबसे पहले चलाया जाना है। सूत्र बताते हैं कि पौधरोपण से जलवायु परिवर्तन की दिशा में बेहतर परिणाम के आधार पर यह फार्मूला देश के अन्य राज्यों में लागू किया जाएगा। दोनों राज्यों के जंगलों में पौधरोपण और वनकर्मियों के विशेष प्रशिक्षण के लिए 55-55 करोड़ और 40 करोड़ रुपए से अनुसंधान किया जाएगा। राज्य वन अनुसंधान संस्थान एसएफआरआई ने प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने की पूरी तैयारियां कर ली हैं।
प्रदूषण से निपटने की तैयारी
एसएफआरआई संस्थान ने प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए इस पायलट प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारा जा रहा है, इसके लिए प्रदेश के 18 वनमंडलों का चयन किया गया है। वन विशेषज्ञों का मानना है कि ये पौधे जलस्तर बढ़ाने व कार्बन अवशोषण में अधिक कारगर साबित होंगे। क्लाइमेट बदलने के लिए प्रदेश के 18 वन मंडलों के कर्मचारियों एवं समितियों की क्षमता, कौशल विकास कार्य और सीहोर, होशंगाबाद, उत्तर बैतूल में डिमोस्टेशन स्थल तैयार किया जाएगा। वहीं ईको सिस्टम डॉक्यूमेंट के तहत कार्बन सिकटेशन की वास्तविक जांच कर अन्य समुदाय के लोगों की सहायता से लैंड स्केप का प्रबंधन के तहत लघु वनोपज के स्थाई समुदायों की आय में वृद्धि और मॉडल तैयार कर क्रियान्वित किए जाना है।
जलस्तर बढ़ाने में मिलेगी मदद
जानकारी के अनुसार एसएफआरआई के अधिकारी कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान-टीएफआरआई में नर्मदा के जल स्तर में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ों की भूमिका पर रिसर्च कर रही है। मिशन के प्रोजेक्ट में वन, राजस्व व निजी भूमि सभी क्षेत्रों में एक साथ कार्य के साथ ही मृदा संरक्षण, भू-क्षरण पर नियंत्रण कृषि वानिकी एवं जंगल में पौधरोपण होगा, जैव विविधता के लिहाज से जंगल में जीन पूल और नदी के तटवर्ती क्षेत्रों का जलस्तर बढऩे में मदद मिलेगी। एक ही प्रजाति के पेड़ों की अलग-अलग क्षेत्रों में कार्बन अवशोषण क्षमता में अंतर होता है। इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजूकेशन देहरादून, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट, ऑफ इंडिया देहरादून के वैज्ञानिकों को रिसर्च प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।