नई दिल्ली १० जनवरी। भारतीय टीम केपटाउन में गेंदबाजी के जरिए वापसी करती दिखी लेकिन बल्लेबाजी में फिर वहीं पुरानी कहानी दोहराई गई, जिसके चलते भारत ने जीत का एक अच्छा मौक़ा गंवा दिया, लेकिन सीरीज़ में 0-1 से पिछडऩे के बाद टीम इंडिया के लिए अब आगे की राह आसान नहीं है, बल्कि दक्षिण अफ्रीका में 0-1 से पिछडऩे के बाद वापसी नामुमकिन ही रही है. इसके पीछे एक नहीं, कई वजह हैं।
विदेशी जमीं पर नहीं होता चेज
ये तीसरा सबसे छोटा लक्ष्य रहा जिसका भारत पीछा नहीं कर सका। विंडीज के खिलाफ 120 रन और श्रीलंका के खिलाफ 176 रनों की पीछा इससे पहले टीम इंडिया नहीं कर सकी थी।
100 रन के अंदर गवाएं 7 विकेट
ऐसा छठी बार हुआ है, जब भारतीय टीम ने किसी टेस्ट मैच की दोनो पारियों में 100 रन के भीतर ही अपने 7 विकेट गंवा दिए हों, केपटाउन टेस्ट में भारतीय टीम ने पहली पारी में 92 रन पर 7 विकेट गंवाए, तो दूसरी पारी में 82 रनों पर ही 7 विकेट आउट हो गए।
भारतीय टीम के सब कॉन्टिनेंट के बाहर रिकॉर्ड को देखें तो वो बेहद निराशाजनक रहा है. विंडीज में प्रदर्शन को हटाकर भारत ने 2011 से उपमहाद्वीप के बाहर कुल 23 मैच खेले. इसमें 16 में उन्हें हार मिली और 6 मैच ड्रॉ हुए. वहीं, 2014 में इंग्लैंड में ही टीम इंडिया एक मैच जीतने में सफल रही थी
दक्षिण अफ्रीका में वापसी मुश्किल
दक्षिण अफ्रीका में पहला टेस्ट हारने के बाद वापसी करीब करीब नामुमकिन ही रही है. अभी तक महज 1922-23 में इंग्लैंड ही 0-1 से पिछडऩे के बाद 5 टेस्ट की सीरीज 2-1 से जीतने में सफल रहा।
सभी एशियाई टीमें फ्लॉप
केपटाउन में एशियाई टीमों का प्रदर्शन खराब ही रहा है और 12 टेस्ट में से कोई भी एशियाई टीम वहां मैच नहीं जीत सकी है. 10 में इन टीमों को हार का सामना करना पड़ा तो 2 मैच ड्रॉ रहे।