मध्यप्रदेश की जेलों में होगा सुधार, खुलेंगी नई जेलें

संसद पहुंची प्रदेश के जेलों की स्थिति
आरती शर्मा
भोपाल, 11 जनवरी। प्रदेश सरकार जिला स्तर पर जेलों के नवनिर्माण और पुनर्उत्थान पर कार्य कर रही है। इसके तहत प्रदेश में अंडा जेल से लेकर खुली जेलों का निर्माण कराया जा रहा है। इंदौर के सांवेर और बुरहानपुर में जिला जेल का निर्माण किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने यह जानकारी 29 जनवरी से दिल्ली में शुरू हो रहे संसद के वित्तीय सत्र में सांसदों को भी भेजी है। प्रदेश में जेलों की सुरक्षा, सुरक्षा अमले में वृद्धि, नए पदों के सृजन सहित कैदियों को रखने और उनके उत्थान के लिए भी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू होने जा रही हैं। प्रदेश में फिलहाल 11 केंद्रीय जेलें, 40 जिला जेलें, 71 सहायक जेलें हैं। इन जिलों में 27917 बंदियों को रखे जाने की क्षमता है। प्रदेश में जेलें कम और बंदियों की संख्या अधिक होने से जिला स्तर पर भी जेलों का निर्माण कराया जा रहा है।
जिला स्तर पर जेलों का निर्माण
नए पर्सपेक्टिव प्लान के तहत शिवपुरी, भिंड में नई जेलों का निर्माण चल रहा है तो वहीं अनुपपूर और बुढ़ार में नई जेल बनकर तैयार हो चुकी है। प्रदेश सरकार जिला स्तर पर जेलों में वृद्धि के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था को भी पुख्ता करने जा रही है। इसके लिए सुरक्षा ऑडिट भी कराया जा रहा है। सुरक्षा अमले में वृद्धि के लिए राज्य सरकार नवीन पदों का भी सृजन करने जा रही है। जेलों में चिकित्सकों के रिक्त पदों को भरने की कवायदें भी जेल विभाग कर रहा है।
प्रहरियों को प्रशिक्षण: गत वर्ष सिमी आंतकियों द्वारा जेलब्रेक की घटना के बाद जेल विभाग ने प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें जेल प्रहरियों को दिए जाने वाला प्रशिक्षण अहम है। इन्हें प्रशिक्षण देने के लिए सागर स्थित जेल प्रशिक्षण केंद्र भी ले जाया जाता है। इसके अलावा ग्वालियर के टेकनपुर के बीएसएफ प्रशिक्षण केंद्र में गत वर्ष करीब 300 से अधिक जेल प्रहरियों को टफ प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
सीसीटीवी से जेलों की पुख्ता सुरक्षा: प्रदेश में जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता तथा सुदृढ़ करने के लिए जेल विभाग ने जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। नई बैरकें, सुरक्षा गार्डरूम, कंट्रोल रूम, वॉच टॉवर सहित केंद्रीय जेलों में दोहरी दीवार निर्मित की जा रही है। इसके लिए विभाग ने 20 करोड़ रूपए खर्च किए हैं।
होशंगाबाद में खुली जेल: प्रदेश में एक ओर जहां 41 पुरानी जेलें हैं, वहीं शहरी की घनी आबादी में आ चुकी 17 जेलों को शहरों से बाहर सुरक्षित तथा आधुनिक मापदंडों के अनुसार बनाए जाने की योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा जेल विभाग द्वारा बंदियों में अनुशासन तथा सजा पूर्ण होने के पश्चात पुनर्वास को सुगम बनाने के लिए होशंगाबाद जिले में खुली जेल का निर्माण किया जा रहा है। इस जेल में 25 कैदी अपने परिवार के साथ गुजर-बसर कर सकते हैं।
बंदियों का उत्साहवर्धन: विभाग द्वारा बंदियों को आजीविका से जोडऩे के लिए विभिन्न योजनाएं संपादित की जा रही हैं। इनमें बंदियों के पारिश्रमिक में वृद्धि की जा रही है तो बंदियों को झांकी निर्माण सहित अनेक विधाओं से जोड़ा जा रहा है। गत दिनों नमामि देवी नर्मदे अभियान पर आधारित विषय पर बंदियों द्वारा निर्मित झांकी को राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। मध्यप्रदेश शासन द्वारा जेल नीति-2017 पर भी प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं।