केजरीवाल को नेता बनाया अन्ना हजारे ने और जोगी अपने दम पर बने नेता इसलिए
समाचार विश्लेषण
विजय कुमार दास
छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस से बाहर निकलकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जब छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का पृथक से गठन किया, तब कहा गया कि जिस तरह दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का पहली बार चुनाव में हस्र्र हुआ वही सिद्धांत जोगी के साथ भी लागू होगा। यहां यह कहने में संकोच नहीं है कि अरविंद केजरीवाल के पीछे लोकपाल बिल और उसे देश की जनता के सामने प्रस्तुत करने का साहस बाबा अन्ना हजारे में ही था। अरविंद केजरीवाल नेता बनने के पहले एक ऐसे मंच की तलाश कर रहे थे, जिस पर देश की जनता विश्वास कर लें। पूरी देशव्यापी लोकप्रियता मिले या न मिले, अरविंद केजरीवाल को यह मालूम था कि दिल्ली का रामलीला मैदान और उसमें बाबा अन्ना हजारे का आमरण अनशन किसी न किसी दिन उन्हें राजनीति में रास्ता जरूर देगा। अन्ना हजारे कहते रहे कि हम राजनीति नहीं करेंगे और केजरीवाल ने अन्ना हजारे का पल्ला झाड़ कर दिल्ली विधानसभा की राजनीति में कूदने का फैसला कर लिया। जब आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई तो केजरीवाल ने प्रख्यात समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया और प्रखर समाजवादी जयप्रकाश नारायण के सिद्धांतों को अस्त्र बना लिया। अपने आम आदमी पार्टी की विचारधारा की आधारशिला भी केजरीवाल ने बैसाखी के भरोसे की तथा सफल भी हुए। बाद में उन्हें इतनी सफलता मिली कि दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया। हम यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल और अजीत जोगी दोनों में अतिमहत्वाकांक्षा हावी है, और हो भी क्यों नहीं। एक शख्स आईआरएस छोड़कर आया है तो दूसरा आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति को गले लगाया है। दोनों में अंतर केवल इतना ही है कि केजरीवाल में अपनी कोई विचारधारा नहीं है, परंतु अजीत जोगी में छत्तीसगढिय़ों के प्रति बेहतर से बेहतर करने की जिजीविशा है।
मुख्यमंत्री बनने के पहले केजरीवाल ने भी अपने साथ डिनर के बहाने 20 हजार रुपए की थाली बेची, और इधर 2 दिन पहले अजीत जोगी ने भी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस को मजबूत करने के लिए तथा भाजपा की रमन सरकार को चुनौती देने के लिए स्थानीय होटल मेरियाट में 11 हजार रुपए की थाली के बहाने न जाने कितने बटोरे। हालांकि सूत्रों का दावा है कि जोगी ने एक ही बार में करोड़ों का चंदा पार्टी के लिए ले लिया, तो इसमें बुराई क्या है। यह काम केजरीवाल ने जिस तरीके से किया था, उसमें और जोगी के तरीके में थोड़ा अंतर है। जोगी का स्पष्ट कहना है कि छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस मजबूत होगी, तो फिर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की सरकार भी बनेगी और जिन लोगों ने आज उनके साथ चलने का इरादा बनाया है उनका वे हमेशा ध्यान रखेंगे। केजरीवाल के साथ कुछ और हुआ, जो शुरू में साथ चले थे, आधे छंट भी गए। योगेन्द्र यादव और कुमार विश्वास की कहानी सामने है। परंतु अजीत जोगी ऐसा नहीं करेंगे, इसका भरोसा हो चला है। यह बात भी सही है कि जोगी मजबूत इसलिए होंगे, क्योंकि उनकी विचारधारा अपनी है। कहने वाले कह सकते हैं कि जोगी का झुकाव भविष्य में वामपंथियों के साथ हो सकता है, लेकिन आज जो कुछ दिख रहा है, उससे प्रतीत होता है कि जोगी अपने दम पर बने ऐसे नेता हैं, जिनकी दृढ़ इच्छाशक्ति छत्तीसगढ़ के किसी भी राजनेता से कम नहीं है। इसलिए यहां समाचार विश्लेषण का लब्बेलुआब यह है कि केजरीवाल से कई गुना बेहतर हैं छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अजीत जोगी और अजीत जोगी जितने ज्यादा मजबूत होंगे, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस उतनी ही कमजोर होगी, इसका फायदा डॉ. रमन सिंह की कूटनीति को मिलेगा और जब 2018 में सरकार बनाने का मौका आएगा, जोगी की भूमिका किंग मेकर की होगी, इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।