वैश्विक स्तर पर देश की छवि खराब करते दुष्कर्मी

डॉ.हिदायत खान
भारतीय संस्कृति एवं समाज में मानवचरित्र को विशेष महत्व दिया गया है। इसलिए शिक्षा के तौर पर कहा जाता रहा है कि यदि आने वाली पीढ़ी को कुछ देकर ही जाना है तो उच्च संस्कार देकर जाओ क्योंकि वो संस्कार ही हैं जो किसी व्यक्ति को अमरत्व प्रदान कर सकते हैं। जैसा कि पवित्र धर्मग्रंथ बाइबिल में उल्लेखित है कि यदि मनुष्य का धन चला गया तो कुछ भी नहीं गया, स्वास्थ्य चला गया तो कुछ चला गया, यदि उसका चरित्र चला गया तो समझो सब कुछ चला गया। इस आर्ष्वाक्य को केंद्र में रखकर विचार करें तो पाएंगे कि हमारे समाज में विकृत्ति इस कदर आ चुकी है कि मनुष्य ने चरित्र जाने को कुछ भी नहीं जाने के समान मान लिया है, जबकि धन का जाना सब कुछ चले जाने के बराबर हो गया है। यही वजह है कि आत्मीयता और सम्मान का भाव लोगों के बीच से जाता जा रहा है और देश में हिंसक वारदातों के साथ ही साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती चली जा रही हैं। मानों संस्कार रुपी, वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने वाले हरे-भरे जंगलों और वनों को तहस-नहस कर कंक्रीट रुपी जंगलों को लगाया जा रहा है, जिसमें दो पैर वाले जानवर निवासरत हैं और मौका पाते ही शिकार करने से चूकते नहीं हैं। ऐसे मनुष्य में पशुता का वास हो चला है, धोखा देना मानों हुनर में शामिल कर लिया गया है और हालात इस कदर बदतर हो चले हैं कि अमेरिका जैसे देश का ट्रंप प्रशासन अपने देश की महिला पर्यटकों के लिए सतर्क रहने की एडवाइजरी जारी करने पर मजबूर हुआ है।