राष्ट्रीय स्वयं संघ ने पिछले साल मध्यप्रदेश में एक सर्वे कराया था जिसमें प्रदेश के लगभग 40 विधायकों की रिपोर्ट अच्छी नहीं थी और बात यहां तक आ गई थी कि शिवराज सिंह चौहान कुछ विधायकों की टिकिट काटने का मन बना बैठे थे। और जिस तरह राष्ट्रीय स्वयं संघ प्रमुख मोहन भागवत ने समाज के गरीब तबके को साधने के लिए तिल गुड़ का मंत्र दिया है उससे स्पष्ट होता है कि संघ के सर्वे की रिपोर्ट में सब कुछ सही नहीं है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने समाज के सपंन्न वर्ग को गरीबों से सामंजस्य बनाने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोडऩे की दिशा में एक अच्छा काम तो किया लेकिन चुनावी बिासत बिछने के बाद किए गए इस पुनीम कार्य के मायने अलग-अलग निकाले जा रहे हैं। उज्जैन महाकुंभ में सामाजिक समरसता के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को एक मंच पर लाने की परंपरा का निर्वाह किया गया और अब इसी परंपरा को आगे बढ़ाने की बात कही। चुनावी साल यह सब किया जाना राजनीति का हिस्सा लगेगा। लेकिन यदि यही कार्य सदैव के लिए जीनव का हिस्सा बन जाए तो सिर्फ प्रदेश में बल्कि पूरे भारत में सामाजिक समरसता का जो वातावरण निर्मित होगा, वह पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय होगा। चलो अच्छा है सदी के युवा होने वाले वर्ष के पहले पर्व पर कुछ अच्छी शुरूआत होने जा रही है।