समाचार पत्रों में विचारों को भी महत्व मिले: डॉ. शर्मा

सप्रे संग्रहालय में राज्य स्तरीय पत्रकारिता पुरस्कार समारोह संपन्न

निज संवाददाता
भोपाल, 13 जनवरी। माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में विधानसभा अध्यक्ष डा. सीतासरन शर्मा ने कहा कि समाचार पत्रों में विचारों को भी पर्याप्त महत्व मिलना चाहिए, नए पत्रकार इस तरफ भी ध्यान दें। कार्यक्रम में बरकतउल्ला विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो.(डा.) प्रमोद वर्मा अध्यक्षता कर रहे थे। विशिष्ट अतिथि के रुप में राज्यसभा सदस्य एवं हिंदुस्तान समाचार एजेंसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरके सिन्हा मौजूद थे।
संग्रहालय में आयोजित समारोह में पत्रकारिता क्षेत्र के 14 लोगों का सम्मान किया गया। जिनमें डा. केशव पाण्डेय को हुक्मचंद नारद पुरस्कार, पंकज श्रीवास्तव को लाल बलदेव सिंह पुरस्कार, सुदेश गौड़ को माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, अलीम बजमी को जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी पुरस्कार, डा. शरद सिंह को रामेश्वर गुरु पुरस्कार, मध्यप्रदेश संदेश के संपादक मनोज खरे और विद्युत संदेश के संपादक मनोज द्विवेदी को संतोष कुमार शुक्ल लोक संप्रेषण पुरस्कार, अनिल सिंह कुशवाह को झाबरमल्ल शर्मा पुरस्कार, राजन रायकवार को केपी नारायणन पुरस्कार, मधुरिमा राजपाल को यशवंत अरगरे पुरस्कार, विजय एस गौर को राजेन्द्र नूतन पुरस्कार, नीरज गौर को जगत पाठक पुरस्कार, एम पूर्णिमा को आरोग्य सुधा पुरस्कार, राजीव गुप्ता को होमई व्यारावाला पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक मप्र में पत्रकारिताउद्भव एवं विकास का लोकार्पण भी किया गया। इस अवसर पर डॉ. सीतासरन शर्मा ने कहा कि आमतौर समाचार पत्रों में समाचार तो पहले पृष्ठ से ही रहते हैं लेकिन विचार भीतर के पन्नों पर होते हैं। जबकि पांचवे पृष्ठ की सामग्री भी पहले पन्ने पर प्रमुखता से आनी चाहिए। उन्होंने संग्रहालय में संग्रहित सामग्री के डिजिटिलाइजेशन किए जाने का सुझाव देते हुए सहयोग का वादा भी किया।
प्रो. प्रमोद वर्मा ने भी संग्रहालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए नई तकनीक अपनाने की जरूरतों पर बल दिया। उन्होने कि यहां जो सामग्री संकलित है वह अपने आप में विशिष्ट है उसे नई तकनीक का सहारा लेकर विश्वव्यापी बनया जा सकता है। इसमें अपनी ओर से हर तरह के सहयोग का भरोसा भी दिलाया। विशिष्ट अतिथि आरके सिन्हा ने कहा कि शब्द हमेशा जीवित रहेगा इसलिए इसकी साधना करते ही रहना चाहिए।