उदित नारायण
भोपाल, 13 जनवरी। मध्यप्रदेश शासन प्रदेश के विकास एवं प्रदेश की जनता की संपन्नता के लिए नित-नए प्रयास कर रही है, उसी क्रम में पशुपालन विभाग कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं संचालित कर रहा है।
मध्यप्रदेश के झाबुआ का कड़कनाथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और पशुपालन को आय का साधन बनाने के लिए सरकार ने मिल्क पार्लर की तर्ज पर चिकन पार्लर खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है। जिससे प्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ के गरीबों को स्वरोजगार भी उपलब्ध होगा और आय के साधन भी बढ़ेंगे। जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले भी घोषणा कर चुके हैं कि राज्य सरकार कृषि एवं पशुपालन से जुड़े प्रदेश के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कटिबद्ध है। उसी दिशा में सरकार का यह कदम सराहनीय है।
प्रदेश के पशुपालन मंत्री अंतर सिंह आर्य ने राष्ट्रीय हिन्दी मेल के इस प्रतिनिधि से चर्चा में बताया कि राज्य सरकार मिल्क पार्लर की तर्ज पर चिकन पार्लर खोलने का प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसका क्रियान्वयन पायलट प्रोजेक्ट की तर्ज पर होगा। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरुआत में तीन जिलों में इस योजना को लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार चिकन बेचने की तैयारी कर रही है। प्रदेश में सांची मिल्क पार्लर की तर्ज पर कड़कनाथ चिकन पार्लर खोले जाएंगे। स्वाद और पौष्टिकता के कारण इस मुर्गे की मांग काफी ज्यादा है। कड़कनाथ झाबुआ आदिवासी अंचल में पाई जाने वाली मुर्गे की विशेष प्रजाति है। पहले चरण में झाबुआ, अलीराजपुर और देवास में चिकन सेंटर खोले जाएंगे। बाद में इस योजना को और आगे बढ़ाया जाएगा। सरकार इसके लिए अनुदान भी देगी।
दूसरी प्रजाति के मुर्गा-मुर्गियों के मांस में फैट और वसा की ज्यादा उपलब्धता होती है, लेकिन कड़कनाथ मुर्गे में न तो फैट होता है और न वसा, बल्कि इसके मांस में आयरन और प्रोटीन की अधिकता होती है। आयरन की अधिकता के कारण ही इस मुर्गे का सब कुछ गहरा सांवला या काला हो जाता है। इसी के चलते डॉक्टर भी इसे काफी गुणकारी बताते हैं। स्थानीय भाषा में कड़कनाथ को कालमासी भी कहा जाता है, क्योंकि इसका मांस काला होता है। सर्दियों के दिनों में इसका सेवन काफी लाभकारी माना जाता है। जिसके चलते कड़कनाथ की सर्दियों में डिमांड बढ़ जाती है एवं मूल्य सामान्य मुर्गे से ज्यादा होने के कारण पालकों को मुनाफा भी अच्छा होता है।