अमेरिका के इरादे ठीक नहीं

अमेरिका ने भारत से कहा है कि अब वो समय आ गया है जबकि एक-दूसरे के क्षेत्र में सैन्य कमांडो तैनात किए जाने चाहिए। अमेरिका के इस प्रस्ताव से स्पष्ट हो गया है कि वह भारत को पाकिस्तान की तरह इस्तेमाल करना चाहता है और इसलिए उसने लगातार पाकिस्तान को आतंकवाद के नाम पर खरी-खोटी सुनाने का काम किया है। दूसरी तरफ पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों को सीमा पार कराए जाने और हमले करवाने का काम बदस्तूर जारी है। ऐसे में अमेरिका ने उस पर किसी प्रकार की सैन्य कार्रवाई न तो खुद से की है और न ही आगे ऐसा कुछ करने का इरादा रखता है। उसे तो एशिया पर नजर रखने के लिए सैन्य अड्डा चाहिए और ऐसा करने में भारत को ही वह महत्व दे रहा है। दरअसल भारत में अमेरिका के राजदूत केनथ जस्टर का कहना है कि दोनों देशों को सैन्य मामलों में और प्रगाढ़ता लाने के लिए कुछ जगहों पर कमांडोज तैनात करने पर विचार करना चाहिए। यहां समझना होगा कि हम आतंकवाद के खिलाफ तो हैं, लेकिन इसके लिए किसी गुट के साथ होना हमारी विदेश नीति में शामिल नहीं है। दरअसल गुटनिरपेक्षता पर कायम रहते हुए इस मामले में फैसला लेना उचित होगा।

कौन सही कौन गलत
परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और किम जॉंग उन के बीच जुबानी जंग जारी है। इसी बीच रुसी राष्ट्रपति पुतिन का किम की तारीफ में कसीदे पढऩा बताता है कि कहीं न कहीं कुछ तो गलत जरुर है, जिसे छिपाया जा रहा है। गौरतलब है कि पुतिन ने किम को समझदार, परिपक्व राजनेता बताया है, जबकि अमेरिका और उसके सहयोगी देश व नेता उसे सनकी और तानाशाह कहते नहीं थकते हैं। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र में नॉर्थ कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ लगे अतंरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के पक्ष तब रुस ने भी वोट किया था, लेकिन अब वह उसके पक्ष में बात कर रहा है। बकौल पुतिन ‘किम ने अपने परमाणु और मिसाइल प्रोग्राम के जरिए पश्चिम के खिलाफ राउंड जीत लिया है’। इन बयानों से यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है कि आखिर कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ, क्योंकि एक-दूसरे को भ्रमित करने के लिए पल-पल में बयान बदले जा रहे हैं।