बात मंत्रालय की तीसरी मंजिल से जुड़े एक आईएएस की है। उनके एक चेले आईएएस का पहली बार चुनाव की ड्यूटी में बतौर प्रेक्षक नाम आया। उत्साहित होकर अपने गुरू के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे। पांच-छह इलेक्शन में बतौर प्रेक्षक रौब दिखा चुके बड़े साहब ने पहले तो सारे अनुभव शेयर किए। गुर सिखाए, फिर लगते हाथ गुरु दक्षिणा भी मांग ली। वहीं इस पूरे वाकये को देख रहे निचले स्तर के एक अफसर से रहा नहीं गया। बाहर निकलकर बोला-हुंह! खुश तो ऐसे हो रहे हैं, जैसे खजाना हाथ लग गया हो, जबकि चुनाव आयोग तो सारे नकारा अफसरों को प्रेक्षक बनाकर भेजती है। यकीन न हो तो लिस्ट उठाकर देख लो।
… खबरची