लघु वनोपज संघ ने लोगों को वनों से जोडऩे तैयार की 11वर्षीय योजना

एनएल चंद्रवंशी (9425003698)
भोपाल, 1५ जनवरी। आमजनों को वनों से जोडऩे और रोजगार उपलब्ध कराने लघु वनोपज संघ 11 वर्षीय योजना को धरातल में उतारने जा रहा है। वन विकास मद के 273 करोड़ से हर साल 3450 हेक्टर भूमि में फलदार वृक्षों का रोपण करने के लिए 115 स्थलों का चयन किया जा चुका है। 24 जिला यूनियनें प्रति वर्ष चयनित भूमि पर 150 हैक्टर में चैन लिंक फैंसिंग कर एक ही प्रजाति के फलदार पौधा रोपण कर उनकी देखभाल करेंगे।
रोजगार के बढ़ेंगे अवसर: प्रदेश में ऐसी योजना पहली बार धरातल पर उतारी जा रही है, इस योजना से अच्छे वन तैयार होने के साथ लोगों को रोजगार के साधन भी उपलब्ध हो सकेंगे। जानकारी अनुसार संघ का उद्देश्य वनों के विस्तारीकरण के साथ वन क्षेत्रों पर निर्भरता रखने वालों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारना है। आय बढ़ाने के लिए एक ही स्थान पर एक प्रजाति के महुआ, अचार, हर्रा, बहेड़ा, करंज, कुसुम, नीम, कैथा, रीठा, भिलवा, अर्जन, बेल और आंवला जैसे फलदार वृक्षों को रोपण किया जाना है। बरसात में रोपण होने वाले पौधे डेढ़ वर्ष की आयु के होंगे। 11 साल तक होने वाले वृक्षारोपण में लुप्त होती प्रजाति के फलदार वृक्षों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
रिपोर्ट में शामिल नहीं होगा व्यय: अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त में पौधा उपलब्ध नहीं होने पर शेष संख्या की पूर्ति अन्य अनुसंधान की रोपणियों से की जाएंगी। प्रोजेक्ट रिपोर्ट के व्यय में लाने वाले पौधों का व्यय शामिल नहीं होगा, जिला यूनियनें 12 रुपए की दर से दर्शाए गए प्रजाति के पौधों की खरीदी कर सकेंगे। यूनियनवार गणना में मजदूरी की दर 270 रुपए तय की गई है, जो वर्षों में 10 प्रतिशत की गणना वृद्धि के साथ लागू रहेगी। योजना उत्तर बालाघाट, दक्षिण बालाघाट, पश्चिम बैतूल, उत्तर बैतूल, रायसेन, छतरपुर, उत्तर पन्ना, श्योपुर, हरदा, होशंगाबाद, डिंडोरी, पूर्व मंडला, पश्चिम मंडला, खंडवा, सीधी, सिंगरौली, सतना, उत्तर सिवनी, दक्षिण सिवनी, नरसिंहपुर, उमरिया, दक्षिण शहडोल और देवास को शामिल किया गया है। सनद रहे कि इनमें से कुछ जिले छत्तीसगढ़ की सीमा से जुड़े होने से दोनों राज्यों के लोगों को रोजगार मिलेगा।
क्या है वन विकास मद: मप्र में तुड़ाई होने वाले तेंदूपत्ता के लाभांश में से 85 प्रतिशत की राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस के रूप में बांट दी जाती है, शेष बची 15 प्रतिशत की राशि को वन विकास मद कहा जाता है, इस राशि का उपयोग लघुवनोपज संघ वनों का घनत्व बढ़ाने एवं लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में खर्च करने जा रहा है। गौरतलब रहे कि ऐसी योजना को धरातल में उतारने वाला मप्र पहला राज्य है। वहीं चार-चार मीटर के अंतराल में रोपित होने वाले पौधे के बीच विभिन्न प्रजाति की औषधि लगाई जाएगी, जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा।