विजय कुमार दास
रायपुर, 1५ जनवरी। छत्तीसगढ़ की सरकार नौकरशाहों और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति करने में मध्यप्रदेश से बहुत आगे है, इसीलिए छत्तीसगढ़ कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा से आए आईएएस अधिकारियों का तथा भारतीय पुलिस सेवा से आए आईपीएस अधिकारियों का हौसला हमेशा बुलंद रहता है।
मध्यप्रदेश में जहां एक ओर 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी अभी तक डीजी नहीं बने हैं वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने 1988 बैच के आईपीएस अधिकारियों को डीजी बनाने का फैसला कर लिया है। जिनमें मुकेश गुप्ता, संजय पिल्लई और आरके विज का नाम शामिल है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह विदेश यात्रा में तो हैं लेकिन 1988 बैच के आईपीएस अधिकारियों का आदेश किसी भी वक्त हो सकता है। बशर्ते विदेश यात्रा में चलते-चलते डॉ. रमन सिंह ने फरमान सुना दिया वरना, इसमें कोई संदेह नहीं कि विदेश यात्रा से लौटने के तत्काल बाद 1988 बैच के उपरोक्त तीनों आईपीएस अधिकारी डीजी बना दिए जाएंगे। इन तीनों अधिकारियों में मुकेश गुप्ता ऐसे पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हे किसी भी वक्त पदोन्नति के बाद डीजीपी बनाया जा सकता है। हालांकि वर्तमान डीजीपी एसएन उपाध्याय को सेवा निवृत्त होने में काफी समय है। यहां यह कहने में संकोच नहीं है कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार नौकरशाहों की पदोन्नति में भी छत्तीसगढ़ से पीछे चल रही है। उदाहरण है 1987 बैच के छत्तीसगढ़ कॉडर के चितरंजन खेतान तथा आरपी मंडल का अतिरक्ति मुख्य सचिव बन जाना। मध्यप्रदेश में हालत यह है कि 1986 बैच के नौकरशाह बमुश्किल अतिरिक्त मुख्य सचिव बन पाए हैं जबकि 1987 बैच के मनोज श्रीवास्तव, मनोज झालानी, शिखा दुबे, प्रवीर कृष्ण, संजय सिंह, राजेश चतुर्वेदी, अजय तिर्की, एम मोहन राव एवं गौरी सिंह ये सब अतिरिक्त मुख्य सचिव बनने का इंतजार कर रहे हैं। मंत्रालय के शिखर पर बैठे नौकरशाहों का कहना है कि मध्यप्रदेश में 1987 बैच को अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाने के लिए चार महीने से अधिक का समय और लगेगा। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ राज्य में 15 दिनों के अंदर 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी डीजी बन जाएंगे, इस खबर को लेकर उपरोक्त तीनों पुलिस अधिकारियों के परिवारों में बेहद उत्साह है।
अभी छत्तीसगढ़ तीन आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति होने जा रही है जिससे छत्तीसगढ़ में नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को बदलने की चर्चा के साथ ही नये मुखिया की तलाश शुरू हो गई है। इस बदलाव के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं, पहला-प्रदेश में नक्सल विरोधी मुहिम और दूसरा-इसी साल नवम्बर में होने वाले विधानसभा का चुनाव। इस बार भी डीजीपी के लिए तीन नाम चर्चा में हैं। एक नाम मुकेश गुप्ता (1988) का है जो इस समय एडीजी ईओडब्ल्यू हैं दूसरा नाम आरके विज का है जो एडीजी प्रशासन है और तीसरा नाम संजय पिल्लई का है जो एडीजी सीएएफ हैं। इसी माह तीनों आईपीएस संजय पिल्ले, आरके विज और मुकेश गुप्ता की सेवाएं 30 साल की हो गयी। तब तीनों ही अधिकारी पुलिस महानिदेशक (डीजी) पद के लिए पात्र हो गए हैं। इसी माह ही कैडर रिव्यू होने के आसार हैं। उन हालात में डीजी का एक पद बढऩे की उम्मीद है। शासन एक अतिरिक्त डीजी का पद पदोन्नत कर सकती है। ऐसे में तीनों अधिकारियों का डीजी बनना तय है। अब चर्चा इस बात की है कि डीजीपी कौन होंगे। हालांकि शासन से जुड़े एक आला अधिकारी ने बातचीत में इन चर्चाओं को सिरे से खारिज कर दिया और कहा है कि यह बात अभी काफी दूर है, लेकिन चुनाव वर्ष होने और मौजूदा पुलिस महानिदेशक एएन उपाध्याय का कार्यकाल तीन साल पूरे होने के चलते डीजीपी बदलने की चर्चा को बल मिलता है।
पुलिस अफसरों के वाट्सएप ग्रुप से लेकर सोशल मीडिया में डीजीपी बदले जाने की चर्चा तेज हो गई और मैसेज पूरे राज्य में फैल गया है। यहां तक कि जिन अधिकारियों के नाम चर्चा में हैं, उनका प्रोफाइल भी सोशल मीडिया में फैल गया है। ज्यादातर चर्चा सीनियर आईपीएस मुकेश गुप्ता की है जो छत्तीसगढ़ में तेज-तर्रार माने जाते हैं। और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुलिस अधिकारियों में सबसे ऊपर हैं।