आरती शर्मा
भोपाल, 14 जनवरी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लंबे कार्यकाल ने प्रदेश को बीमारू राज्य से निकालकर देश के अग्रणी राज्य की जमात में ला खड़ा किया है। इसके लिए शिवराज सिंह और उनकी टीम ने अनथक मेहनत की है। विकास का रोडमैप और जनकल्याणकारी योजनाओं को ग्रामीण स्तर के एक-एक जन तक पहुंचाने में और योजनाओं के क्रियान्वयन तथा संचालन में मुख्यमंत्री कबीना के सदस्यों का पूरा सहयोग रहा है। प्रशासनिक टीम के साथ मिलकर आज प्रदेश को जो मुकाम हासिल है, वह इसी का परिणाम है। शिवराज सिंह चौहान की मंत्रियों की टीम में यदि महिला मंत्रियों की बात की जाए तो उनके द्वारा किए गए कार्य राष्ट्रीय स्तर पर सराहे गए हैं। महिला कैबिनेट मंत्रियों में टॉप 3 की बात करें तो पहला नाम नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्री माया सिंह का आता है। बीमारू प्रदेश को विकसित प्रदेश में तब्दील करने में जहां शिवराज सिंह चौहान दिन-रात लगे रहते हैं, वहीं प्रदेश को ‘स्मार्टÓ बनाने का श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह नगरीय विकास मंत्री माया सिंह हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा को माया सिंह ने ही मानो पंख लगा दिए हैं। उनके साथ उनकी प्रशासनिक टीम के डायनेमिक नौकरशाह विवेक अग्रवाल भी भरपूर सहयोग देतेे हैं। आलम यह है कि देश में मध्यप्रदेश के सर्वाधिक शहर स्मार्ट सिटी के तौर पर चुने गए हैं। प्रथम चरण में जहां भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में अधोसंरचना और विकासात्मक काम हुए हैं तो वहीं द्वितीय चरण में उज्जैन, सतना और सागर जैसे बड़े जिलों को शामिल कर उन्हें स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाए जाने के रोडमैप पर कार्य किया जा रहा है। इंदौर जिले में राजबाड़ा जैसे अति व्यस्ततम क्षेत्र के जीर्णोद्धार का श्रेय माया सिंह को जाता है तो वहीं घुमावदार फ्लाईओवर ब्रिज, सुंदर चौड़ी सड़कें, शहर का सौन्दर्यीकरण भोपालवासियों को गर्व का अनुभव कराता है। जबलपुर की बरसों पुरानी बदहाल सीवेज सिस्टम को सुधारने के कार्य जो माया सिंह के कार्यकाल में हुए हैं, वह आम आदमी के जेहन में शिवराज सिंह चौहान की विकासात्मक छवि को सुदृढ़ ही करते हैं।
चूंकि माया सिंह ग्वालियर की हैं, इसलिए ग्वालियर का भी कायाकल्प किया जा रहा है। टॉप-टू नम्बर पर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस। बुरहानपुर की इस लोकप्रिय नेत्री ने प्रदेश को कुपोषण के कलंक से दूर करने में ऐसे-ऐसे नवाचार किया है, जिससे आज प्रदेश बाल मृत्यु दर के विकास सूचकांकों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। पहली बार बाल मृत्यु दर में सात अंकों की गिरावट आई है तो वहीं कुपोषण के कलंक को भी प्रदेश के माथे से मिटाने के लिए ‘सुरजन से पोषणÓ जैसी नवाचार योजना प्रारंभ की गई है। अर्चना चिटनीस की स्मार्ट वर्किंग और योजनाओं की सतत निगरानी के चलते जहां भिंड जिला कभी देश में लिंगानुपात में बदतर स्थिति में था, वहां इस वर्ष एक हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या 929 सुखद संयोग-सा लगती है। वर्ष 2011 में यह संख्या 896 थी।
टॉप-3 में पन्ना जिले की ऊर्जावान और विदुषी महिला मंत्री कुसुम महदेले। आदिवासी और पिछड़ों में ‘जिज्जीÓ के नाम से लोकप्रिय कुसुम महदेले आज भले ही 72 वर्ष पार कर गई हों, लेकिन उनके अनुभव और उनका ज्ञान प्रदेश को विकास की निरंतर सीढिय़ां चढ़ा रहा है। ग्रीष्मकालीन समय में प्रदेश के 40 से 45 फीसदी सूखाग्रस्त जिलों में पेयजल की उपलब्धता को बड़ी समस्या मानकर कुसुम महदेले ने अपनी टीम के साथ मिलकर पुख्ता योजना बनाई। सतत् मॉनीटरिंग की गई। वित्तीय संसाधन जुटाए गए और आज पूरे प्रदेश में नल-जल योजनाएं सवा करोड़ जनता की प्यास बुझा रही हैं। कुसुम महदेले देखने में भले ही उम्रदराज और बुजुर्ग महिला मंत्री दिखती हों, लेकिन वह वरिष्ठ कानूनविद् और हाईली हाईटेक पर्सन हैं। वह फेसबुक से लेकर ट्विटर और वाट्सएप जैसे सभी सोशल मीडिया का भरपूर यूज करती हैं। उनकी यह खूबी उनकी जनता से जुड़े कल्याणकारी योजनाओं में भी देखने को मिलती है। अब बात करते है उन महिला मंत्रियों की जो चाहकर भी अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग नहीं कर पाईं जिनमें ग्वालियर राजघराने से वरिष्ठ मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का नाम सबसे पहले शुमार होता है। स्मार्ट मंत्री अपनी वर्किंग स्टाइल से अच्छे-अच्छों के माथे पर पसीना ला देती हैं। उनकी मीटिंग्स, बयान और समीक्षा बैठकें अक्सर मीडिया की सुर्खियां बनती हैं, लेकिन काम करने की यही स्टाइल उन्हें उनकी भूमिका से दूर कर रही है। राजवंश परिवार की सदस्य आम लोगों के बीच अपनी ‘महाराजाÓ छवि ही बना पाती हैं, जबकि मुख्यमंत्री को जनता से जुड़ा नेता अधिक पसंद है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री को भी उनके बारे में कई बार सोचना पड़ता है। उस समय यशोधरा की कार्यप्रणाली पर खूब चर्चाएं हुई थीं, जब उनके उद्योग मंत्री रहते ग्लोबल इंवेस्टर समिट में 70 फीसदी काम धरातल पर ही नहीं उतर पाए थे, जिसके चलते मुख्यमंत्री ने उनसे यह विभाग लेकर खेल-कूद विभाग की कमान सौंप दी थी। हालांकि खेल-कूद विभाग में उनकी कई योजनाएं और नवाचारों ने प्रदेश के खिलाडिय़ों को विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच दिए हैं, लेकिन यशोधरा राजे सिंधिया के बारे में कहा जाता है कि वह ग्वालियर संभाग में ही सिमटी रहती हैं, जबकि अपनी मैनेजमेंट स्किल्स के चलते वह पूरे प्रदेश की चहेती महिला मंत्री बन सकती हैं। इसके बाद नाम आता है राज्यमंत्री ललिता यादव का। राज्यमंत्री ललिता यादव अपनी क्षमता का पूरा उपयोग दिखा नहीं पा रही हैं। रिश्तेदारों में घिरी ललिता यादव चाहें तो बहुत अच्छा काम कर प्रदेश की जनता और उनके मुखिया शिवराज सिंह चौहान को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन उनके साथ उनके रिश्तेदार और माइनिंग से जुड़े केस अक्सर उन्हें विवादों में खड़ा करते रहते हैं। बहरहाल मुख्यमंत्री समेत 30 मंत्रियों की इस टीम में यह पांच महिला मंत्री अपनी वर्किंग स्टाइल और नवाचारों से प्रदेश को अग्रणी राज्यों में शुमार करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती दिखतीं।