मंत्री शरद जैन पर संदेह की सुई
विजय कुमार दास
भोपाल, 3 दिसंबर। मध्यप्रदेश में जब से चिकित्सा शिक्षा विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार शरद जैन नियुक्त किए गए हैं तब से लेकर आज तक मध्यप्रदेश में नए नर्सिंग कॉलेज खोलने अथवा चलित नर्सिंग कॉलेजों में नए- नए विषयों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के जितने भी निर्णय लिए गए हैं, उन सभी की गंभीरता से जांच की जाएगी। बताया जाता है पिछले वर्ष मंत्री शरद जैन, उनके ओएसडी जैन दोनों ने मिलकर नर्सिंग कॉलेजों को जितनी भी अनापत्ति प्रमाण पत्र आनन-फानन में नर्सिंग कौंसिल एक्ट के नियमों की धज्जियां उड़ाकर दी है अपने आप में जांच का विषय है। इंडियन नर्सिंग कौंसिल के मापदण्ड निर्धारित है कि अब नए नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए क्या-क्या जरूरी है परंतु मंत्री जी ने इन मापदंडो की कोई परवाह नहीं की और लगभग (225) नर्सिंग अनुमतियां जारी कर दी। मंत्री जी के फैसले के आगे तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव कुछ नहीं कर पाए और उन्हें उन कालेजों को भी एनओसी कहे या डी एण्ड एफ प्रमाण पत्र जारी करने पड़े। जो मापदण्ड के अनुसार सही नहीं पाये गये थे। जब उपरोक्त सारी एनओसी इंडियन नर्सिंग कौंसिल के पास अनुशंसा के लिए नई दिल्ली भेजी गई तो मुश्किल में 8 या 10 कॉलेजों को मान्यता प्रदान की और बाकी कॉलेजों को अमान्य कर दिया क्योंकि वह सैकड़ों एनओसी विशेष कर आदिवासी जिलों में दी गई थी, आईएनसी के मापदण्ड पर पूरे नहीं करते हैं। नए नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए सामान्य क्षेत्र में अपना अस्पताल जरूरी है, 2400 वर्गफीट का भवन बीएससी तथा जीएनएम के लिए कम से कम 14 एसएससी नर्सिंग प्रध्यापक वगैरह अहर्ताएं जरूरी है। कंप्यूटर लेब, लेबोटेट्री, नर्सिंग ट्रेनिंग की आवश्यक बहुत सारी सामग्री जो चिकित्सा शिक्षा से जुड़कर प्रशिक्षित नर्स तैयार करते हैं इन सब का अभाव होते हुए भी अधिकांश अनुमतियां जारी कर दी गई। जिसमें सूत्र बताते हैं कॉलेज वालों ने 3 से 5 लाख प्रति अनुमति के लिए उपहार भी दे चुके हैं लेकिन आईएनसी ने उन अनुमतियों को खारिज कर दिया है जो मापदंड के अनुसार नहीं थे। यही कारण है मध्यप्रदेश की आईएनसी में जबरदस्त बदनामी भी हुई। इस तरह से नर्सिंग घोटाले बेधड़क हुए जिसकी भनक नवागत अतिरिक्त मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया (1985) को लगी है। सूत्रों का कहना है कि जुलानिया कार्यभार ग्रहण करते ही चिकित्सा शिक्षा विभाग की गहराई से समीक्षा करेंगे । नर्सिंग घोटाले के तार आईएनसी तक जुड़े बताए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को मान्य कर दिया है जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह निर्णय दिया है कि आईएनसी को राज्यों में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने का अधिकार ही नहीं है। ऐसी स्थिति में अब तो नर्सिंग कॉलेज नए खोलने की मान्यता का अधिकार स्टेट नर्सिंग कौंसिल को होना चाहिए। इसलिए राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा नए नर्सिंग कॉलेजों के खुलने के लिए एनओसी देकर आईएनसी भेजा जाना भी अब गैरकानूनी है। परन्तुआईएनसी के अध्यक्ष जो मात्र एक मेल नर्स है,टी दिलीप कुमार ने भी धमासान मचा रखा है, गौर करने लायक यह है कि टी दिलीप कुमार के खिलाफ भी प्रकरण सीबीआई कोर्ट में चल चुके हैं और राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो में भी एक एफआईआर दर्ज है।
पूरे एनओसी नियमों के तहत दी
बीते दिनों पहले चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार शरद जैन से नर्सिंग कॉलेजों को एनओसी देने के संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिस भी नर्सिंग कालेज को एनओसी दी है वह नियमों के अनुसार दी गई है। अगर कहीं कुछ गलत हुआ है तो इसकी जांच की जाएगी।