रजत परिहार (09425002527)
भोपाल, 16 जनवरी। शिवराज सरकार के किस विभाग में कब क्या निर्णय हो जाए, इसकी परिकल्पना नहीं की जा सकती है। मंत्री हो या अफसर, सभी अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। किसी को भी नियमों की कोई चिंता नहीं है कि नियम क्या कहते हैं, उन्हें तो बस इन दिनों अपना काम बनता के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।
ऐसा ही एक चर्चित मामला पंचायत तथा ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आने वाले प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में करीब एक दर्जन रिटायर अधिकारियों को जीएम-जनरल मैनेजर के पद पर संविदा पर रखकर उन्हें जिले आवंटित करने का सामने आया है। जिसमें पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने अपनी इच्छानुसार संविदा पर रखे गए जीएम को मलाईदार जिलों की पीआईयू में पदस्थ कर दिया है और पंचायत तथा ग्रामीण विकास विभाग के एसीएस इकबाल सिंह बैंस भी इस मामले में कुछ नहीं कर पाए। जो मंत्रालय की गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बताया जाता है कि पंचायत तथा ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आने वाले प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से पिछले कुछ माह पहले करीब 12 अधिकारी जीएम के पद से रिटायर हुए थे। जिसके बाद विभाग ने इन्हीं अधिकारियों में से करीब 10 को इसी पद पर एक वर्ष के लिए संविदा नियुक्ति पर रखने के आदेश जारी करके उन्हें जिलों में पदस्थ कर दिया है। सूत्रों के अनुसार इन जीएम को दमोह, सागर, कटनी जैसे जिलों में भेजा गया है, जबकि विभाग चाहता तो इसके लिए बकायदा निविदा निकालकर प्रदेश के बेरोजगारों को एक सुनहरा मौका दे सकता था या फिर अपने स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए अन्य विभागों में मांगपत्र जारी कर दूसरे अधिकारियों की सेवाएं ले सकते थे। लेकिन विभाग ने ऐसा नहीं करते हुए अपने काम से इतिश्री की है, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई मर्तबा कह चुके हैं कि बेरोजगारों के लिए जब मौका मिले तो उन्हें रोजगार दें, लेकिन पंचायत तथा ग्रामीण विकास विभाग ने शायद मुख्यमंत्री की मंशा के ठीक विपरीत चलने की ठान ली है। सूत्रों का कहना है कि 10 रिटायर अधिकारियों को संविदा पर रखने के बदले एक बड़े लेन-देन की बात सामने आ रही है। इधर विभागीय अधिकारी इस मामले में स्टाफ की कमी और अनुभव की बात करके मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ऐसे गंभीर मामले को संज्ञान में लेकर जांच करने के तत्काल निर्देश देना चाहिए, ताकि मंत्री और अफसरों की अपनी मनमानी पर लगाम लगाई जा सके। इस संबंध में पंचायत तथा ग्रामीण विकास विभाग के एसीएस इकबाल सिंह बैंस से चर्चा करनी चाही, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।