तरुण पिथौड़े ने दिए मध्यप्रदेश सूदखोर अधिनियम का सख्ती से पालन के निर्देश
उदित नारायण
भोपाल, 5 दिसम्बर। मध्यप्रदेश में आम जनता के हित के लिए सैकड़ों योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है और उन योजनाओं से प्रदेश की जनता को लाभ भी मिल रहा है। आम आदमी के जीवन में कई बार ऐसे अवसर आ जाते हैं कि वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी से कर्ज लेने को मजबूर हो जाता है और ऐसी ही मजबूरी का फायदा उठाकर सूदखोर अपना उल्लू सीधा करते हैं और लोगों से महज कुछ रुपयों के बदले कई गुना ज्यादा वसूल करते हैं। कई बार ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें सूदखोरों से परेशान होकर कई लोग आत्महत्या भी कर चुके हैं। सीहोर कलेक्टर तरूण पिथौड़े के सामने भी एक गरीब आदमी ने जब सूदखोरों से निजात पाने के लिए गुहार लगाई तो उन्होंने न सिर्फ उस आदमी की परेशानी को समझते हुए बल्कि उन सभी लोगों की परेशानी दूर करने का मन बना लिया, जो सूदखोरों से परेशान थे। तरूण पिथौड़े ने मध्यप्रदेश सूदखोर अधिनियम का सख्ती से पालन करने के लिए एसडीएम खत्री को जिम्मेदारी सौंपी और आज राजधानी से लगा हुआ सीहोर जिला प्रदेश में अपने इस नवाचार के लिए पूरे प्रदेश में जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि सीहोर कलेक्टर तरूण पिथौड़े की पहल पर अब तक लगभग 200 से ज्यादा प्रकरणों में कार्रवाई की गई है और लगभग 80 प्रकरण लंबित हैं।
तरूण पिथौड़े ने राष्ट्रीय हिन्दी मेल के इस प्रतिनिधि से चर्चा में बताया कि जिले के किसान और आम आदमी सूदखोरों से परेशान थे, सूदखोर अपने बाहुबल के दम पर आम आदमी को डराकर उसे अनाप-शनाप वसूली करते थे। उन्होंने बताया कि आलम यह था कि यदि किसी आदमी ने मजबूरी में किसी सूदखोर से अपनी जरूरत के लिए 5000 रूपए का कर्ज ले लिया और उसके बदले वह दस हजार रूपए से ज्यादा रकम अदा कर चुका होता था, तब भी उस पर 5000 का कर्ज बरकरार रहता था, आम आदमी मजबूर इसीलिए होता था कि सूदखोर उससे कर्ज देते समय ब्लैंक चेक और कोरे कागज में हस्ताक्षर भी करा लेता था। ऐसे में आम आदमी अपनी जरुरतों को रोककर सूदखोर को ब्याज की किश्त अदा करता रहता था और उसका कर्ज जस का तस बना रहता था गौरतलब है कि कार्यावाही में यह बात भी सामने आई कि सूदखोरी का व्यवसाय ग्रामीण इलाकों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र में ज्यादा पनप रहा था। सूदखोरों से परेशान गरीब लोगों के दर्द को महसूस कर सीहोर कलेक्टर तरूण पिथौड़े ने जिले में मध्यप्रदेश सूदखोर अधिनियम को सख्ती से पालन कराने के लिए एसडीएम खत्री को जिम्मेदारी दी और आज सूदखोरी के लगभग 280 प्रकरण सामने आए, जिनमें सूदखोरों द्वारा आम लोगों को परेशान किया जाता था, लेकिन अब गरीबों को उससे निजात मिल गई है।