नई दिल्ली, 17 जनवरी। खाद्य वस्तुओं के मूल्यों में गिरावट की वजह से दिसंबर में होलसेल प्राइस इन्फ्लेशन (डब्ल्यूपीआई) तीन महीने के निचले स्तर पर आ गई है। इससे आने वाले महीनों में कंज्यूमर इन्फ्लेशन में भी कमी आने का संकेत मिल रहा है। दिसंबर में होलसेल इन्फ्लेशन गिरकर 3.58 फीसदी पर आ गई, जो नवंबर में 3.93 फीसदी के साथ आठ महीने के उच्च स्तर पर थी।
सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं में होलसेल इन्फ्लेशन दिसंबर में घटकर 4.72 फीसदी रह गई, जो नवंबर में 6.06 फीसदी पर थी। रिटेल इन्फ्लेशन दिसंबर में 5.21 पर्सेंट के साथ 17 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। नवंबर में यह 4.88 फीसदी पर थी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) महत्वपूर्ण पॉलिसी रेट्स के बारे में फैसला करते समय रिटेल इन्फ्लेशन को भी ध्यान में रखता है। इन्फ्लेशन कम रहने से इंटरेस्ट रेट्स को लेकर मौजूदा स्थिति बरकरार रहने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी इकरा की प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट, अदिति नायर ने बताया, डब्ल्यूपीआई इन्फ्लेशन में कमी आने से फरवरी के पॉलिसी रिव्यू में मौजूदा स्थिति को बरकरार रखा जा सकता है।
आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की अगली रिव्यू मीटिंग 7 फरवरी को होनी है। ग्रोथ के बढऩे के साथ इन्फ्लेशन में तेजी आती है। नवंबर में औद्योगिक विकास 8.4 फीसदी के साथ 25 महीने के उच्च स्तर पर थी। डीबीएस बैंक की इकनॉमिस्ट राधिका राव ने कहा हाल के मैक्रो डेटा से संकेत मिल रहा है कि इन्फ्लेशन में तेजी के साथ ग्रोथ में भी सुधार हो रहा है। दिसंबर में सब्जियों की महंगाई दर घटकर 56.46 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने में 59.8 फीसदी थी। हालांकि, प्याज के थोक दाम दिसंबर में एक वर्ष पहले की अवधि के मुकाबले 197.05 फीसदी अधिक रहे।