नई दिल्ली, 17 जनवरी। केंद्र सरकार अब हज यात्रियों को सब्सिडी नहीं देगी। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि सरकार ने अब हज यात्रियों को सब्सिडी न देने का फैसला किया है। इस फैसले के कारण 1 लाख 75 हजार लोग बिना सब्सिडी के हज यात्रा पर जाएंगे। सरकार हर साल 700 करोड़ रुपए हज यात्रा की सब्सिडी पर खर्च करती थी। बताया जा रहा है कि आजादी के बाद पहली बार हज यात्रियों की सब्सिडी हटाई गई है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी अब बंद कर दी गई है। दरअसल, हज सब्सिडी का फायदा गरीब मुसलमानों को नहीं मिल पा रहा था। सरकार अब गरीब मुस्लिमों के लिए अलग से व्यवस्था करेगी। उन्होंने बताया कि हज यात्रा पर मिलने वाली सब्सिडी का फायदा अभी तक सिर्फ एजेंट्स उठा रहे थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इधर, भारत के हज यात्रियों को समुद्री मार्ग से भेजने की योजना को सऊदी अरब ने मंजूरी दे दी है। मुख्तार अब्बास नकवी ने सऊदी अरब के हज व उमराह मंत्री मोहम्मद सालेह बिन ताहेर बेंटेन के साथ करार किया है। सऊदी अरब की रजामंदी मिलने से 23 साल बाद फिर से समुद्री मार्ग खुलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। 1995 में इसे बंद किया गया था, उसके बाद से हवाई मार्ग के जरिये लोग हजयात्रा पर जा रहे हैं। नकवी ने बताया कि सऊदी अरब की रजामंदी मिलने के बाद अब दोनों देश समुद्री यात्रा के तकनीकी पहलुओं पर विचार करेंगे, जिससे आने वाले सालों में इसे शुरू किया जा सकेगा। नकवी का कहना है कि पहले समुद्र के रास्ते हज यात्रा में 12 से 15 दिनों का समय लगता था, लेकिन अब तीन से चार दिन में जहाज से यात्रा समाप्त कर सकते हैं। एक तरफ का रास्ता 23 सौ नाटिकल मील का है। 1995 में मुंबई के यलो गेट से सऊदी अरब के जेद्दाह तक जल मार्ग पर यात्रा होती थी।
836 करोड़ की थी हज सब्सिडी, अब जीरो!: केंद्र सरकार ने मुसलमानों को हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। 2012 में हज सब्सिडी खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दस साल का समय दिया था। पिछले पांच साल में ये घटकर महज 25 फीसदी रह गई थी और 2022 में पूरी तरह से खत्म होनी थी लेकिन मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए एक झटके में इसे खत्म कर दिया है।
गौरतलब है कि 2006 से ही विदेश मंत्रालय और परिवहन और पर्यटन पर बनी एक संसदीय समिति ने हज सब्सिडी को एक समय सीमा के भीतर खत्म करने के सुझाव दिए थे, इसके बावजूद सरकार ने हज सब्सिडी को खत्म नहीं किया।
उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की आलोचना की और इसे खत्म करने को कहा, 2012 में कोर्ट ने इसे 10 साल की समय-सीमा में धीरे-धीरे खत्म करने का आदेश दिया था, इसके बाद से लगातार सरकार से मिलने वाली सब्सिडी में कटौती हुई, सरकार द्वारा जो पैसा 2012 से पहले जारी किया जाता था, वो साल दर साल घटता गया। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के अनुसार 2012 में 836.55 करोड़ रुपए की हज सब्सिडी दी गई, इसके बाद से लगातार सब्सिडी का बोझ सरकार के सिर से कम होता गया, अगले ही साल यानी 2013 में केंद्र सरकार ने इसमें डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की कटौती करते हुए 680.03 करोड़ रुपए की सब्सिडी जारी की, 2014 में इस राशि में से भी 100 करोड़ से ज्यादा रकम घटा दी गई और सब्सिडी 577.07 करोड़ रह गई, 2015 में सब्सिडी में करीब 50 करोड़ की कमी आई, अब ये रकम घटकर 529.51 करोड़ रुपए हो गई, 2016 में 405 करोड़ रुपए बतौर हज सब्सिडी के रूप में सरकार ने दिए यानी सब्सिडी की रकम 836 से घटकर करीब आधी रह गई, 2017 में महज 250 करोड़ की हज सब्सिडी दी गई और अब 2018 में हज सब्सिडी को मोदी सरकार ने पूरी तरह से खत्म कर दिया है।