
नई दिल्ली, 20 मार्च। तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ रही है। अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर अचानक ब्रेक लग जाने पर कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने रिजर्व बैंक के प्रमुख से मिलकर चिंता जताई है। इकोनॉमिस्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास से मुलाकात कर कहा है कि ऐसी मौद्रिक नीति लानी होगी जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार में फिर से तेजी आए। बता दें कि 4 अप्रैल को रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक होगी, जिसमें नए वित्त वर्ष के लिए मौद्रिक नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने इसके पहले करीब एक दर्जन अर्थशास्त्र?ियों से मुलाकात की है और उनकी राय को सुना है। ज्यादार इकोनॉमिस्ट की राय यही है कि रिजर्व बैंक फिर से रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी चौथाई फीसदी की कटौती करे और उसे 6 फीसदी तक ले आए। इसके पहले रेपो रेट का यह स्तर अगस्त 2017 में था। रिजर्व बैंक अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में चौथाई फीसदी की कटौती कर चुका है। गौरतलब है कि अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था सिर्फ 6.6 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो पिछली पांच तिमाहियों में सबसे कम वृद्धि दर है। कमजोर उपभोक्ता मांग और कम निवेश को इसकी वजह माना जा रहा है। पीएम मोदी चुनाव अभियान में जोरशोर से लगे हैं और एक बार फिर से सत्ता में लौटने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं, ऐसे में अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटने को चिंता का बिंदु माना जा रहा है। अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटने से टैक्स कलेक्शन लक्ष्य से कम हो सकता है और सरकारी खर्च में कटौती आ सकती है। इस बैठक में शामिल एक इकोनॉमिस्ट ने रायटर्स से कहा, बैठक में शामिल ज्यादातर इकोनॉमिस्ट की राय यही थी कि ग्रोथ में तेजी लाने के लिए मौद्रिक नीति में ही कुछ बड़ा कदम उठाना पड़ेगा, क्योंकि वित्तीय विस्तार की बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं है। इकोनॉमिस्ट ने कहा कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पडऩे से भारत के निर्यात पर चोट पड़ सकती है, जिसकी रफ्तार पहले से सुस्त है। फरवरी में भारत का निर्यात महज 2.4 फीसदी और जनवरी में 3.7 फीसदी बढ़ा है।