विशेष टिप्पणी (सत्य नारायण पाठक)
भोपाल, 8 दिसम्बर । राजनीति में नेताओं की बयानबाजी और उनके तीखे तेवर उनकी पहचान बनाने और प्रतिद्वंद्वी पर निशाना साधने के लिए तो ठीक है, लेकिन जब बोल बिगडऩे लगें और भाषा मर्यादा के पार जाने लगे तो राजनीति पर सवालिया निशान लगना लाजमी है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी नेता ने किसी के लिए अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया हो, जिस तरह कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेहरू-गांधी परिवार पर परोक्ष निशाना साधने वाले बयान पर पलटवार करते मर्यादाओं को लांघा है और उन्होंने प्रधानमंत्री को अपशब्द कह डाले। इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने को तैयार राहुल गांधी की परिपक्वता को उजागर कर दिया है। इससे पहले कई बार राहुल गांधी के बयानों में बचपना या अपरिपक्वता भाजपा की ओर से दिखाई गई कि वे अभी राजनीति के महारथी नहीं बने हैं। लेकिन आज राहुल गांधी ने मणिशंकर अय्यर के इस बयान पर जब कहा कि वे नरेन्द्र मोदी से माफी मांगें और यही नहीं कांग्रेस से उन्हे निलंबित करने की कार्रवाई भी की, यह एक स्वच्छ राजनीति की दिशा में उत्तम पहल है। राहुल गांधी ने अपने इस कदम से स्पष्ट कर दिया है कि वे कांग्रेस की बागडोर के संभालने के बाद किस तरह की राजनीति करेंगे। यह बात तो साफ हो गई है कि विरासत में राजनीति लेकर पैदा होने वाले राहुल गांधी ओछी राजनीति के पक्षधर तो नहीं होंगे। और कोई भी कांग्रेसी राजनेता देश के संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के विरूद्ध अमर्यादित भाषा के प्रयोग से परहेज करे तो ही अच्छा होगा।