आरती शर्मा
भोपाल, 8 दिसम्बर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने 12 वर्षों के कार्यकाल का श्रेय अपनी प्रशासनिक टीम को देते रहे हैं। मुख्यमंत्री चौहान की एक बड़ी खासियत यह भी है कि उन्होंने कार्यों के आधार पर प्रशासनिक लॉबी में डायरेक्ट और प्रमोटी आईएएस की खाई को पाट दिया है। काम करने वालों को पुरस्कृत किया गया है और जिसने लापरवाही बरती है, उसे सबक भी सिखाया है। इतना ही नहीं लगातार होने वाली कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस, परख और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए लगातार कलेक्टर्स को प्रमोट किया है। इसी का असर है कि प्रदेश में प्रमोटी आईएएस अपने उत्कृष्ट कार्यों से गुड गवर्नेंस की मिसाल पेश कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ जिला कलेक्टर्स पर एक नजर:
शुरूआत करते हैं मुख्यमंत्री के सबसे चहेते आईएएस अफसरों में शुमार एसके मिश्रा से। आईएएस लॉबी में सबसे ताकतवर नाम आज एसके मिश्रा का है। सीहोर कलेक्टर रहते हुए एसके मिश्रा ने जब चुनाव आयोग द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर लगाए गए आरोपों और सवालिया निशानों को समय रहते हल किया था, तभी यह मुख्यमंत्री की गुडबुक में नम्बर वन पर आ गए थे। आज प्रदेश में यदि औद्योगिक निवेश की चर्चा होती है तो उसकी शुरूआत से लेकर वर्तमान तक एसके मिश्रा ही सर्वेसर्वा हैं। मुख्यमंत्री के साथ हर विदेश यात्रा पर जाने वाले मिश्रा सीएम के इतने चहेते हैं कि उनके सेवाकाल के बाद आज उन्हें संविदा नियुक्ति पर प्रमुख सचिव जैसा पद प्रदान किया गया। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग के बकायदा नियम बदले गए। यह भी तय है कि जब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल रहेगा, तब तक एसके मिश्रा उनके साथ रहेंगे। उनकी सक्रियता आज भी आईएएस अधिकारियों में उदाहरण है। उनकी बनाई रणनीति और निर्धारित मापदंडों ने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में चार चांद ही लगाए हैं।
दूसरे सबसे अहम अधिकारियों में शामिल रहे राकेश श्रीवास्तव। आज सेवानिवृत्ति के बाद भी सिया के अध्यक्ष पद की शोभा बढ़ा रहे राकेश को न सिर्फ मुख्यमंत्री बल्कि सबका चहेता अधिकारी कहा जाता है। प्रमोटी आईएएस होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने उनकी काबिलियत देखकर सीधे नरसिंहपुर से ग्वालियर जैसे बड़े जिले की कमान सौंपी। अच्छे काम के बलबूते राकेश श्रीवास्तव को प्रदेश के सबसे बड़े व्यावसायिक जिले इंदौर की कलेक्टरी मिली। सबको साथ लेकर चलने वाली मुख्यमंत्री की मंशा को आगे बढ़ा रहे राकेश श्रीवास्तव को इंदौर की कलेक्टरी के बाद मुख्यमंत्री ने जनसंपर्क विभाग का कमिश्रर नियुक्त कर दिया। जनसंपर्क में बतौर आयुक्त उनका कार्यकाल इतना प्रभावी था कि आज तक जनसंपर्क आयुक्त के पद पर पदस्थ अधिकारियों के लिए उस लोकप्रियता को पाना एक चुनौती है। सेवानिवृत्ति के बाद भी राकेश श्रीवास्तव को सिया के अध्यक्ष पद पर पदासीन किया गया है। इससे पहले सिया के अध्यक्ष रहे वसीम अख्तर को भी लोग उनकी ग्वालियर जिले में दी गई कलेक्टर की सेवाओं के नाम पर याद रखते हैं। वर्तमान में अख्तर साहब अरेरा क्लब में बतौर सचिव आईएएस की पूरी लॉबी बखूबी संभाल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने हमेशा ऐसे अधिकारियों पर भरोसा किया, जो सरल और सहज रहें। ऐसे ही साफ-सुथरी छवि के अधिकारी रहे हैं अरूण कुमार भट्ट। आम व्यक्ति तक शासन-प्रशासन की योजनाओं को अंगीकार करने वाले मुख्यमंत्री के खास अरूण भट्ट को मुख्यमंत्री ने सेवानिवृत्ति के बाद भी बतौर ओएसडी अपने साथ ही रखा है। रायसेन कलेक्टर रहे अरूण भट्ट के पास जब आदिवासी बहुल जिले बैतूल की कलेक्टरी आई तो उन्होंने आदिवासियों की जमीनों के नाम पर हो रही धोखाधड़ी को लेकर भू-माफिया पर अच्छी लगाम कसी।
प्रशासनिक और राजनीतिक मंच को प्रशासनिक सूझ-बूझ से एकसार करने में विदिशा कलेक्टर रहे एमबी ओझा का जवाब नहीं है। राजगढ़ और दतिया में कलेक्टरी कर चुके एमबी ओझा को मुख्यमंत्री की खासी सराहना मिलती रही है। समन्वय से कार्य करने में माहिर ओझा को वर्तमान में उज्जैन संभाग की कमिश्ररी से नवाजा गया है। वहां भी उनके सरल-सहज व्यवहार से वीआईपी लोगों को हैंडिल करने की चर्चा बनी ही रहती है।
उज्जैन का नाम आए और सिंहस्थ पर चर्चा न हो, ऐसा नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री की छवि को देश-दुनिया में चमकाने वाले और सिंहस्थ 2016 के भव्य आयोजन को सफल बनाने वाले कवीन्द्र कियावत को मुख्यमंत्री आज भी कोई भी जिम्मेदारी देने में देर नहीं लगाते। अपनी फुल प्रूफ प्लानिंग से उज्जैन कलेक्टर रहते हुए कवीन्द्र कियावत इसी वर्ष सेवानिवृत्त हुए हैं।
उनकी पत्नी जयश्री कियावत ने भी बतौर धार और झाबुआ कलेक्टर रहते हुए कर्मठ और एक्टिव आईएएस दंपत्ति का तमगा लगाया है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में महिलाओं के स्व-सहायता समूह बनाकर किए गए कार्य आज भी उन क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के लिए मिसाल है। आज श्रीमती कियावत महिला सशक्तिकरण संचालनालय में बतौर आयुक्त पदस्थ हैं। वर्ष 2002 बैच के आईएएस रजनीश श्रीवास्तव को भी प्रशासनिक लॉबी में तेज-तर्रार अधिकारी के तौर पर जाना जाता है। आम लोगों की समस्याएं त्वरित हल करने और सदैव आगे बढ़कर काम करने में अग्रणी रहने वालों में इनका नाम लिया जाता है। हरदा कलेक्टर रहते हुए रजनीश श्रीवास्तव का नाम एक दिन अचानक देशभर की सुर्खियों में आ गया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम ‘मन की बातÓ में हरदा में उनकी प्रशासनिक टीम द्वारा चलाए जा रहे ‘आपरेशन मलयुद्ध’ का जिक्र किया था। उसके बाद हरदा जिले की इस पहल का अनुसरण पूरे देश में किया गया। खिरकिया में हुए रेल हादसे में खुद घटनास्थल पर पहुंचकर हर पल स्थिति को संभालने में रजनीश श्रीवास्तव को हरदा के लोग याद करते हैं। रजनीश श्रीवास्तव भोपाल में एडीएम रह चुके हैं। उन्हीं की तरह अशोकनगर जिले के कलेक्टर बीएस जामोद भी पहले भोपाल एडीएम रहे। भोपाल में रहे प्रशासनिक अनुभव का पूरा लाभ श्री जामोद ने अशोकनगर की जनता को दिया। स्वच्छता अभियान में जनअभियान परिषद की मदद से स्कूली बच्चों की ‘जिद्दी गैंगÓ और ‘खुरपी गैंगÓ जैसे नवाचार अपनाकर अपने जिले को अंतिम से टॉप फाइव में लाने की वजह से श्री जामोद को लोग बेहद पसंद करते हैं। मुख्यमंत्री इस बात को पसंद करते हैं कि कलेक्टर जिलों में अपने दंभ को छोड़कर लोकसेवक की तरह आम जनता के बीच काम करें, राजीव शर्मा ने इसी मंशा को अपनाया था। लोगों की पसंद में नम्बर वन कलेक्टर रहे राजीव शर्मा का तबादला जब शासन ने किया था, तब शाजापुर जिले की जनता तबादला रूकवाने सड़कों पर उतर आई थी। वर्तमान में राजीव नगरीय प्रशासन विभाग में बतौर उपसचिव मंत्रालय में पदस्थ हंै, लेकिन शाजापुर के लोग आज भी उन्हें याद करते हैं।
वर्ष 2002 बैच के ही अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मसूद अख्तर को जनसुनवाई में लोगों के हित में लिए गए फैसले सीधी जिले की जनता के लिए उन्हें पसंदीदा कलेक्टर के खिताब से नवाजती है।
कुछ ऐसे कलेक्टर भी हैं, जो मुख्यमंत्री की किसान हितैषी इमेज को बरकरार रखने में पूरी मदद करते हैं। इनमें से एक है ओपी श्रीवास्तव। मंदसौर में किसान आंदोलन के भड़कने के बाद मुख्यमंत्री के खास रहे ओपी श्रीवास्तव को शिवपुरी से सीधे मंदसौर की फिजां बदलने के लिए लाया गया। श्री श्रीवास्तव ने मंदसौर पहुंचते ही किसानों के आंदोलन में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को संभालकर देशभर की सुर्खियों में जगह बना रहे आंदोलन को समाप्त करने में महती भूमिका निभाई। वर्तमान में भी ओपी श्रीवास्तव की प्रशंसा हर कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री द्वारा जब-तब हो ही जाती है। इसी तरह प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के लिए बनाई गई भावान्तर योजना को जमीन तक लाने में झाबुआ कलेक्टर आशीष सक्सेना का नाम आता है। मुख्यमंत्री की किसान हितैषी मंशा को भावान्तर के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने में वर्ष 2005 बैच के आईएएस अधिकारी आशीष ने मुख्यमंत्री का खास आशीष पाया। मुख्यमंत्री की दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता को जमीनी रूप दिया है वर्तमान में जबलपुर कलेक्टर महेश चौधरी ने। हाल ही में कलेक्टर महेश चौधरी को राष्ट्रपति ने इसी क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कृत किया है। इन अधिकारियों ने जहां अपनी कार्यकुशलता, सूझबूझ और प्रशासनिक चार्तुय से प्रदेश का नाम रोशन किया है, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इन्हें इनके कार्यों के लिए पुरस्कृत कर समय-समय पर इनका हौसला वर्धन किया है।