नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिसरा की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि व्याभिचार के मामले में कैसे कोई कानून महिलाओं को हमेशा पीडि़ता मानकर उनका संरक्षण कर सकता है? कोर्ट ने कहा कि क्या ये कानून भेदभावपूर्ण और लैंगिक पूर्वाग्रह से भरा हुआ नहीं है? ये कहकर कि अगर महिला का पति मंजूरी देता तो महिला की ओर से ये अपराध नहीं किया जाता, क्या ये कानून महिलाओं को संपत्ति या गुलाम के तौर पर नहीं देखता। धारा 497 को चुनौती देने वाले पीआईएल ने कोर्ट के सामने कई सवाल उठाए।