सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करें घोटाले की जांच: अजय सिंह

रेरा और गेहूं घोटाले को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
भोपाल, 9 दिसंबर। मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मध्यप्रदेश में हुए तीन बड़े घोटाले रेरा और गरीबों, दिव्यांग बच्चों को दिए जाने वाले सरकारी गेहूं में हेराफेरी के दो मामलों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। अजय सिंह ने उनकी न खाऊंगा न खाने दूंगा की नीति के तहत सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में इन घोटालों की जांच करवाने की मांग की है।अजय सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा भ्रष्टाचार का पहला मामला रियल स्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (रेरा) से जुड़ा है। इसके गठन के साथ ही श्री सिंह ने कहा कि बिल्डरों, राजनीतिज्ञों और स्थानीय निकायों के अफसर का गठजोड़ शुरू होता है। श्री सिंह ने कहा कि रेरा का गठन केंद्र सरकार के भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण के अंतर्गत हुआ है। इसलिए इसकी नियमावली की जानकारी प्रधानमंत्री को होगी। इन नियमों से बचने के लिए मध्यप्रदेश में अफसरों, बिल्डरों और राजनीतिज्ञों के गठजोड़ ने करोड़ों रूपए का घोटाला किया है। जनता को राहत देने के बजाए मध्यप्रदेश सरकार ने बिल्डरों को राहत दे दी। प्रदेश में मई 2017 से रेरा लागू हुआ जबकि नगर-निगम भोपाल ने अप्रैल माह में ही ऐसे सभी हाउसिंग प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट दे दिया, जो कि अधूरे ही थे। चूंकि नए कानून से पूर्ण प्रोजेक्ट बाहर थे, इसलिए यह षडयंत्र रचा जिसमें अकेले भोपाल में लगभग 300 करोड़ का लाभ बिल्डरों से उठाया गया है। श्री सिंह ने पत्र में लिखा कि रेरा के अध्यक्ष ने सभी नगर-निगमों को रेरा कानून के तहत पूर्ण और अपूर्ण प्रोजेक्ट की जानकारी देने को कहा लेकिन किसी ने भी उनके पत्र का जवाब तक देना उचित नहीं समझा। श्री सिंह ने पत्र में नगर-निगम भोपाल में पिछले दिनों हुए 200 करोड़ के डीजल घोटाले का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अजय सिंह ने कहा कि गरीबों, मदरसों और दिव्यांगों के लिए जो सरकारी राशन दिया जाता था, वह उन तक न पहुंचकर व्यापारियों के गोदामों में पाया गया। अजय सिंह ने पत्र में 9 माह पहले गेहूं में मिट्टी मिलाने के मामले का जिक्रकिया। उन्होंने कहा कि ऐसा घोटाला तो सिर्फ भोपाल में मुख्यमंत्री और पूरी सरकार की नाक के नीचे हुआ है। अगर इसकी निष्पक्षता से जांच हुई तो रेरा और शासकीय खाद्यान्न मामले में हजारों करोड़ का घोटाला सामने आएगा। श्री सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि मध्यप्रदेश में इस तरह के घोटाले उजागर होते हैं, जांच होती, नीचे के अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही होती है, कुछ दिन बाद वे बहाल हो जाते हैं और फिर से घपले-घोटालों का सिलसिला शुरू हो जाता है। बड़े लोगों तक यह मामला पहुंचता ही नहीं है वे साफ बच जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये तीन मामले तो हाल ही के हैं। इसकी लिस्ट बहुत लंबी है, भ्रष्टाचार को पकडऩा भ्रष्टाचार खत्म होना नहीं है, भ्रष्टाचार न हो ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए तब आपकी और मुख्यमंत्री की बातों का कोई मायने होगा और इसका लाभ देश-प्रदेश को मिलेगा।
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नाबालिग के साथ ज्यादती और जिंदा जलाने की घटना शर्मनाक
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सागर में नाबालिग बालिका के साथ ज्यादती के बाद उसे जिंदा जला देने की घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि कानून बनाने से नहीं, उसको सख्ती से लागू करने से इस तरह की घटनाओं पर रोक लगेगी। अजय सिंह ने कहा कि शिवराज सरकार फांसी का कानून बनाकर महिलाओं की सुरक्षा के प्रति अपने दायित्वों को निभाना मान रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून का ही पूरी सख्ती और संवेदनशीलता के साथ पालन हो, ताकि अपराधियों में खौफ पैदा हो सके। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि फांसी के कानून के बाद सागर की घटना चिंतनीय हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वे इन घटनाओं को गंभीरता से लें और पूरे पुलिस तंत्र के साथ गृहमंत्री को भी इसके लिए जवाबदेह बनाएं।