भारत में सोने की मांग बढऩे की संभावना

नई दिल्ली। वित्तीय सेवा एवं बाजार अनुसंधान फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंसियल सर्विसेज के अनुसार केंद्रीय बैंकों की ब्याज सस्ता रखने की नीति और भारत में परम्परा गत खरीद के मौसम के मद्देनज इस कैंलेंर वर्ष चौथी तिमाही में सोने की मांग में सुधार होगा। फर्म में अपनी एक ताजा रिपोर्ट में सोने को दीर्घकालिक दृष्टि से निवेश के लिए अच्छा विकल्प बताया है। फर्म द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में भारत में सोने ने 159 फीसद का रिटर्न दिया है, जबकि घरेलू शेयर सूचकांक निफ्टी ने इस दौरान 93 फीसद का रिटर्न दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने का भाव लंबी अवधि में 65-67 हजार रुपये प्रति दस ग्राम तक जा सकता है।
तीसरी तिमाही में 30 फीसद गिरी मांग
इस रिपोर्ट में कहा गया कि सोने की मांग तीसरी तिमाही में 30 फीसद गिरने के बाद चौथी तिमाही में वापस बढऩे की संभावना है, क्योंकि इस दौरान आभूषणों की खरीदारी में तेजी आएगी। रिपोर्ट में अनुमान है कि अमेरिकी चुनाव के बाद आने वाले कुछ महीने सोने की कीमत को तय करने के लिए महत्?वपूर्ण होंगे और इस दौरान केंद्रीय बैंकों का रुख, कम ब्याज दर, कोविड-19 महामारी का प्रभाव और अन्य चिंताएं कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं, हालांकि सर्राफा के लिए संभावनाएं अच्छी हैं। रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंकों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की और बाजार में धन का प्रवाह बढ़ा है। वैश्विक ब्याज दरें वर्तमान में शून्य स्तर के आसपास हैं और कुछ समय के लिए कम बने रहने की उम्मीद है। अमेरिकी फेड रिजर्व के प्रमुख जेरॉम पावेल ने अपने पिछले नीति वक्तव्य में उल्लेख किया है कि यह अर्थात ब्याज दरें नकारात्मक दिशा में नहीं जा सकती हैं, लेकिन ये निम्न स्तर साल 2023 तक बने रह सकते हैं।
रिपोर्ट में विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूसीजी) के अनुमानों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भारत में सोने की मांग तीसरी तिमाही में 30 प्रतिशत गिरने के बाद चौथी तिमाही में वापस बढऩे की संभावना है क्योंकि त्यौहरों के कारण खुदरा ज्वैलरी खरीदारी मजबूत होने की उम्मीद है। उनको उम्मीद है कि बढ़ती मां और त्योहारों के कारण तीसरी तिमाही की तुलना में चौथी तिमाही बेहतर होगी।