भोपाल रेडक्रॉस अस्पताल का मामला
उदित नारायण
भोपाल,10 दिसंबर। हमेशा ही अपनी कारगुजारियों के चलते चर्चा में रहने वाला रेडक्रॉस सोसायटी अस्पताल एक बार फिर नियम विरूद्ध कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा में है। यहां मरीजों को सस्ता इलाज उपलब्ध कराने के नाम पर खुलेआम लूटा जा रहा है,इस पर न तो शासन को कोई ध्यान है और न ही जिला प्रशासन का।
रेडक्रॉस सोसायटी का गठन दीन दुखियों को सस्ती दर पर इलाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया था,जो कि अब एक व्यवसायिक केंद्र बन चुका है। करीब तीन साल से सोसायटी के अध्यक्ष का चुनाव नहीं होने से पूरी व्यवस्था चरमराई हुई है,अध्यक्ष नहीं होने की वजह से राजभवन के प्रमुख सचिव मोहन राव अपनी मनमानी पर उतारू हैं। उन्होंने अपने चहेते रेडक्रॉस के सोसायटी के सचिव राजीव नयन तिवारी का कार्यकाल के तीन साल पूरे होने के बाद भी अपने रसूख के दम पर बढ़वा लिया है। जबकि नियमानुसार सचिव का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें इसकी जानकारी राजभवन में देकर प्रभार वहां सौंपना चाहिए। क्यूंकि जब तक नई प्रबंधन कमेटी नहीं बन जाती तब तक सचिव का कार्यकाल न तो बढ़ाया जा सकता है और न ही कोई नए सचिव की नियुक्ति की जा सकती है। सचिव की नियुक्ति के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार केवल रेडक्रॉस सोसायटी मैनेजिंग कमेटी को ही है पूर्व में तत्कालीन राज्यपाल बलराम जाखड़ द्वारा विश्वास तिवारी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनके कार्यकाल को बढ़ाया गया था तो हाईकोर्ट द्वारा बढ़ाए गए कार्यकाल को खारिज कर दिया था,और इसके पीछे यह तर्क दिया गया था कि जब तक मैनेजिंग कमेटी का प्रस्ताव नहीं है तो अकेले राज्यपाल की अनुशंसा पर कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता। लेकिन प्रमुख सचिव की मनमानी की वजह से सोसायटी की व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। निजी चिकित्सालय और रेडक्रॉस सोसायटी के अस्पताल की फीस में अब कोई अंतर नहीं बचा है,जो मरीज यहां इलाज कराने आते हैं,वे भी अपने आपको ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं।इतना ही नहीं सिक्योरिटी के टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत सामने आई है,थर्ड आई सिक्योरिटी एजेंसी ने प्रमुख सचिव मोहन राव के निवास पर 24 घंटे सुरक्षा कर्मी तैनात कर रखे हैं। सुरक्षा कर्मियों को उनका पूरा वेतन भी नहीं मिलता। सुरक्षा कर्मी ने नाम न छापने की शर्त बताया कि उन्हें 10 घंटे ड्यूटी के बदले मात्र 5 हजार रूपए का वेतन दिया जाता है। इसके अलावा सहायक अधीक्षिका की नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं,सहायक अधीक्षिका को टेंडर कमेटी का प्रमुख बनाया जाना सावालों के घेरे में है। इस टेंडर कमेटी के अंतगर्त के सिक्योरिटी,पैथोलॉजी,मेडिकल स्टोर, एक्स-रे मशीन आदि में अनियमितताएं की शिकायतें सामने आने लगी हैं।
इनका कहना है
मेरा कार्यकाल समाप्त होने के बाद तत्कालीन राज्यपाल बलराम जाखड़ ने मेरे कार्य को देखते हुए मेरा कार्यकाल पांच वर्ष बढ़ा दिया था,इसकी चुनौति माननीय उच्च न्यायालय में लगी थी,जिसे न्यायालय बढ़ाए हुए कार्यकाल को समाप्त करते हुए यह तर्क दिया था कि बिना मैनेजिंग कमेटी की अनुशंसा के अकेले राज्यपाल कार्यकाल को नहीं बढ़ा सकते।
– विश्वास तिवारी,
पूर्व चेयरमैन,रेडक्रॉस सोसायटी