फील्ड में अच्छे काम करने वाले आईपीएस हुए प्रमोट
भोपाल, 11 दिसम्बर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 12 सालों में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में वैसे तो सभी आईपीसी अधिकारियों का अपनी-अपनी जगह विशेष योगदान रहा है। लेकिन जिलों में कानून व्यवस्था को लेकर बेहतर रिजल्ट देने वाले आईपीएस अधिकारियों के कामों को खुद मुख्यमंत्री ने भी सराहा है और उन्हें प्रमोट भी किया है।
आज हम बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 12 सालों के कार्यकाल में बतौर जिला पुलिस अधीक्षक के रूप में किन-किन पुलिस अधिकारियों ने कानून व्यवस्था को लेकर अच्छे काम किए हैं। जिसकी शुरुआत हम 2000 बैच के आईपीएस संतोष कुमार सिंह से करते हैं। संतोष कुमार सिंह का कार्यकाल एसपी के तौर पर जबलपुर और ग्वालियर में याद कर रहा है। थोड़े तेज व कार्यप्रिय होने के चलते इनके द्वारा लिए गए निर्णय भले ही सभी को पसंद नहीं आए हो, लेकिन उसके परिणाम हमेशा सामने अच्छे आए हैं। उन्होंने इंदौर में भी कई बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। संतोष सिंह अभी भोपाल डीआईजी के रूप में पदस्थ है। वहीं 2003 बैच के हरिनारायण चारी जो अभी इंदौर डीआईजी के रूप में पदस्थ है। इन्होंने खंडवा पुलिस अधीक्षक के रूप में पूरे शहर में अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की थी। यह जबलपुर और ग्वालियर जैसे बड़े जिलों में भी पुलिसगिरी कर चुके हैं। इसी बैच के आईपीएस डॉक्टर जीके पाठक को सबसे बड़ी सफलता मंदसौर एसपी के दौरान कई बच्चियों को देह व्यापार जैसे गोरखधंधे से निकालने में मिली थी। जिसके बाद उनके नाम के चर्चे मंदसौर से लेकर भोपाल तक होने लगे थे, बाद में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए छिंदवाड़ा एसपी बनाया गया। ये यहां पर भी शांत नहीं बैठे और प्रशासन की मदद से गौवंश तस्करों के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाकर कई बड़ी कार्रवाई की। इनके प्रयासों के बाद से ही कई गौवंश तस्करों के वाहन राजसात हुए और कई जेल गए। जीके पाठक वर्तमान में छिंदवाड़ा रेंज के डीआईजी है। 2004 बैच के आईपीएस राकेश कुमार जैन पन्ना, सिवनी और बैतूल जिले में एसपी रहे हैं। श्री जैन ने सिवनी में हिंदू और मुसलमान के बीच भाईचारा और प्रेम बना रहे इसे लेकर कई तरह के हथकंडे अपनाए थे। इनके कार्यकाल में हालांकि कोई बड़ी सांप्रदायिक घटना नहीं घटी। बैतूल एसपी का कार्यकाल तो इनका यादगार रहा, यहां पर इन्होंने समर्थ संगिनी नाम का एक विशेष नवाचार किया था , जो इतना सराहा कि इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के निर्देश बीते कुछ माह पहले डीजीपी ने दिए थे। यह भी सागर रेंज के डीआईजी के रूप में काम कर रहे हैं। इसी बैच के डीसी चौधरी को हम कैसे भूल सकते हैं, जो विदिशा जैसे महत्वपूर्ण जिलों के एसपी रहे हैं। इसके पहले यह सीधी एसपी के रूप में भी कानून व्यवस्था संभाल चुके हैं। बताते है कि डीसी चौधरी ने विदिशा एसपी के कार्यकाल में बिगड़ी कानून व्यवस्था को पटरी पर लाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री की कानून व्यवस्था को लेकर हर मंशा को पूरा करने का सफल प्रयास किया है जैसे वह चाहते थे। 2004 बैच के आईपीएस मनोहर वर्मा की कार्यप्रणाली भी किसी से छिपी नहीं है, इनके खाते में सबसे बड़ी उपलब्धी सिंहस्थ रही है। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन एसपी के समय में इन्होंने सिंहस्थ जैसे बड़े कार्यक्रम को सफल बनाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिसे देखते हुए इन्हें मुख्यमंत्री ने ग्वालियर डीआईजी बनाया है। 2006 बैच के अरविंद सक्सेना ने भोपाल नार्थ एसपी के समय पुराने भोपाल की कमान पूरे अपने हाथों में रखी थी, इन्हे हर गली, हर मौहल्ले की जानकारी थी। अगर कभी विवाद की स्थिति बानी तो इन्होंने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए निपटा दिया। यह करीब साढ़े तीन सालों तक भोपाल नार्थ एसपी के पद पर रहे हैं। इनकी कार्यप्रणाली से मंत्री, नेता तथा अफसर हमेशा खुश रहते थे। यह भी होशंगाबाद में एसपी है। यहां पर भी इटारसी में छापामार कार्रवाई करके अवैध हथियारों को बरामद किया है तथा रेत माफिया पर बड़ी कार्रवाई की है। इसी बैच के राजेश हिंगणकर भी कटनी और धार के एसपी रहे हैं, वह अभी वर्तमान में रतलाम एसपी है। राजेश हिंगणकर ने धार और कटनी में अपराधों का ग्राफ जरूर कम किया था, वहीं रतलाम में भी इनका इसी तरह का कुछ प्रयास जारी है। अभी हाल ही में बजरंग दल के जिला संयोजक और किसी अन्य व्यक्ति के साथ मारपीट की घटना के मामले को भी समय रहते संभाल लिया था। इस मामले में जरूर व्हाट्सएप्प पर गलत और भ्रामक जानकारी फैलाने वाले 2 लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। अगर आईपीएस शशिकांत शुक्ला की बात करें तो इन्होंने रायसेन एसपी के समय असामाजिक तत्वों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी। कई लोगों की ऐसी फाइल बना कर गए हैं जिसका आज भी जिक्र होता है। शशिकांत शुक्ला ने देवास में भी कुछ नया करने का प्रयास किया था लेकिन यहां इन्हें कोई बड़ी उपलब्धि नहीं मिली है लेकिन इनके अच्छे कामों को देखते हुए अभी जबलपुर एसपी है। यहां पर भी जल्दी ही कोई नवाचार करने वाले हैं। एक और आईपीएस अधिकारी ऐसे हैं जिनके चर्चे अक्सर पुलिस मुख्यालय में हुआ करते हैं। वे है 2007 बैच के आईपीएस सचिन अतुलकर। इनकी कार्यप्रणाली सबसे अलग है। इन्होने सागर एसपी रहते हुए पूरे शहर में मनचलों के खिलाफ अभियान चलाकर बड़ी मात्रा में कार्रवाई की थी। साथ ही महिला सुरक्षा को लेकर भी समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित कर जागरूकता लाने का प्रयास किया। अभी सचिन अतुलकर ने उज्जैन एसपी रहते हुए ऑपरेशन पवित्र अभियान चलाकर अपराधियों पर थोक में कार्रवाई की है। उज्जैन में आज स्थिति यह है कि कई अपराधी तो इनके भय से शहर छोड़कर चले गए हैं। कुल मिलाकर शिवराज सरकार के यह आईपीएस अधिकारियों ने जिलों में कानून व्यवस्था और लोगों को पुलिस के पास आने पर न्याय मिले इस दिशा में अच्छे काम किए हैं। जिसका उदाहरण है कि आज यह सभी फील्ड में तैनात है और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी इनके कन्धों पर है।