अतिरिक्तमुख्य सचिव बेहद दुखी हैं क्योंकि …
विजय कुमार दास
भोपाल, 12 दिसंबर। जिस मध्य प्रदेश में सिंचाई का रकबा 2003 में मात्र 7 लाख 46000 हेक्टेयर था उसे 2017 तक 40 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंचाने में दिन-रात एक करने वाले 1985 बैच के आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया इन दिनों बेहद दुखी है।सूत्रों के अनुसार जल संसाधन विभाग में 7 वर्ष निर्बाध सेवाएं देने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब उन्हें ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंपी थी तो उनका काम करने का उत्साह दुगने से भी ज्यादा हो गया था। जुलानिया ने ग्रामीण विकास विभाग में आकर कुछ ही समय में स्वच्छता अभियान, ग्रामीण सड़क एवं प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास को ऐसा अंजाम दे दिया था जिसका उदाहरण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वैसे ही देने लगे थे जैसा मध्य प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढऩे का उदाहरण वे सार्वजनिक मंचों पर देते आए हैं। लेकिन जब से उन्हें पुन: जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है,उन्हें ग्रामीण विकास में पूरी की गई 2500 किलोमीटर की सड़कें याद आने लगी है। वैसे तो राधेश्याम जुलानिया उन नौकरशाहों में ‘नंबर वन ‘पर है जिनमें से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना नया मुख्य सचिव बनाना होगा। सूत्रों का कहना है जुलानिया कभी यह नहीं सोचते कि कल वे क्या बनेंगे, उनकी प्राथमिकता हमेशा इस बात पर रहती है कि जो काम आज मिला है उसे अच्छे से किया जाए और पुराने काम , राजकाज वेअपने दिमाग से ही निकाल देते हैं। इसी का परिणाम है कि जुलानिया ने ग्रामीण विकास पहुंचकर जल संसाधन को अपने दिमाग के कंप्यूटर से बाहर कर दिया था, और सोचा था गांव की उस सड़क को भी सीमेंट की सड़क में बदल कर रख देंगे जहां पर लोग आज भी किचड़ में सने रहते हैं। परंतु ग्रामीण विकास विभाग में बेहतर करने की जितनी तैयारी उन्होंने 8 से 10 महीनों में की उसे पूरा नहीं कर पाने का अफसोस है। बताया जाता है कि अब जुलानिया ने तय कर लिया है कि जल संसाधन विभाग की लंबित छोटी-बड़ी सभी परियोजनाओं को पूरा करने की रफ्तार पहले से 4 गुना बढ़ा दी जाएगी और सिंचाई का रकबा आगामी 1 वर्ष के भीतर लगभग 2 लाख हेक्टेयर और बढ़ा दिया जाएगा। लगातार मुख्य अभियंताओं और प्रमुख अभियंता से बैठक का दौर जारी है और तो और जरूरत पडऩे पर जुलानिया जिलों में पदस्थ कार्यपालन यंत्री को स्वयं फोन लगाकर सीधे बात करते हैं और प्रगति में आए वित्तीय रोड़े को भी दूर कर लेते हैं। यह तो हुआ जल संसाधन विभाग का मसला, अभी जुलानिया के पास जल संसाधन के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग भी मुख्यमंत्री ने इसलिए दिया है क्योंकि वहां भी भ्रष्टाचार एवं गड़बड़ी की भयंकर शिकायतें थी। सूत्रों के अनुसार पिछली बार एनओसी देने में जितनी अफरा-तफरी मचाई गई थी वह इस बार जुलानिया के रहते संभव नहीं है। उन्होंने विभागीय मंत्री शरद जैन से भी कह दिया है जो स्वीकृत करने लायक प्रकरण होंगे उन्हें ही डी एंड एफ जारी किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस बार आज तक मात्र 35 प्रकरणों में स्वीकृति जारी की गई है जबकि आखिरी तारीख 14 दिसंबर 2017 है। बताया जाता है चिकित्सा शिक्षा विभाग में गड़बड़ी करने वाले और फाइलों में लेन-देन के बाद अनुशंसा करने वालों के हाथ पैर फूले हुए हैं । सबको लगता है यदि थोड़ा भी गड़बड़ किया तो जुलानिया उनकी नौकरी ले बैठेंगे।
चिकित्सा शिक्षा विभाग में अफरा-तफरी
अभी जुलानिया के पास जल संसाधन के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग भी मुख्यमंत्री ने इसलिए दिया है क्योंकि वहां भी भ्रष्टाचार एवं गड़बड़ी की भयंकर शिकायतें थी। सूत्रों के अनुसार पिछली बार एनओसी देने में जितनी अफरा-तफरी मचाई गई थी वह इस बार जुलानिया के रहते संभव नहीं है। उन्होंने विभागीय मंत्री शरद जैन से भी कह दिया है जो स्वीकृत करने लायक प्रकरण होंगे उन्हें ही डी एंड एफ जारी किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस बार आज तक मात्र 35 प्रकरणों में स्वीकृति जारी की गई है जबकि आखिरी तारीख 14 दिसंबर 2017 है। बताया जाता है चिकित्सा शिक्षा विभाग में गड़बड़ी करने वाले और फाइलों में लेन-देन के बाद अनुशंसा करने वालों के हाथ पैर फूले हुए हैं । सबको लगता है यदि थोड़ा भी गड़बड़ किया तो जुलानिया उनकी नौकरी ले बैठेंगे।