दिल्ली में अघोषित सेंसरशिप की चर्चा

भोपाल, 13 दिसम्बर। जनता और सरकार के बीच सेतु के रुप में कार्य करने वाली मीडिया की कार्यशैली पर भी गाहे-ब-गाहे उंगलियां उठतीं रहतीं हैं। हालांकि मीडिया को आजादी है कि वह सरकार की नीतियों के विरूद्ध आवाज उठाए और जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाए, लेकिन देश की राजधानी में इन दिनों वही देखने और पढऩे में आता है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं। हां यह जरूर है कि एनडीटीव्ही लगातार सरकार को आइना दिखाने का काम कर रहा है, किन्तु केन्द्र की बाकी मीडिया पर मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने सवालिया निशान जरूर खड़े कर दिए हैं। महकमें की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे इन अधिकारी ने यह भी कहा कि वाह रे शिवराज जो हालात देश की राजधानी में हैं कम से कम मध्यप्रदेश में तो नहीं हैं। यहां पर आलम यह है कि बात यदि तथ्यपरख है तो कोई भी तथ्यों के साथ सरकार के खिलाफ कुछ भी लिख और कह सकता है और शिवराज सिंह चौहान इसका बुरा भी नहीं मानते। अभिव्यक्ति की आजादी का मामला मध्यप्रदेश में यदि आज भी सर्वश्रेष्ठ है ऐसा कहा जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। यह बात कहने वाले उक्त आइपीएस अधिकारी सुनते हैं भाजपा से चुनाव लडऩे के मूड में हैं। … खबरची