– अपर आयुक्त रवींद्र कुमार मिश्रा से बातचीत
आरती शर्मा
भोपाल, 13 दिसम्बर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव बीपी सिंह ने राजस्व के लंबित प्रकरणों का जैसे बीड़ा उठाया हुआ है। राजस्व वर्ष 2017-18 के तहत 5 लाख 68 हजार 949 प्रकरणों में से 2 लाख 17 हजार 313 प्रकरणों का निपटान हो चुका है। सरकार का यह प्रयास गुड गवर्नेंस की एक मिसाल के तौर पर देश भर में सराहा जा रहा है। भोपाल संभाग की बात करें तो यहां भी कई ऐसे अफसर हैं, जो अपनी कार्यप्रणाली से राजस्व के इन लंबित प्रकरणों का निपटान तेजी से कर रहे हैं। संभागायुक्त अजातशत्रु श्रीवास्तव और उनकी टीम इन प्रकरणों को प्राथमिकता में लेकर सतत् प्रयासरत है। यही कारण है कि अभी राजस्व वर्ष के प्रारंभ में ही राजधानी और भोपाल संभाग में 38 प्रतिशत डायवर्जन, 37 प्रतिशत सीमांकन तथा 42 प्रतिशत अविवादित नामान्तरण के प्रकरण निपटाए जा चुके हैं। संभागायुक्त अजातशत्रु श्रीवास्तव का कहना है कि शासन की प्राथमिकता उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। राजधानी होने की वजह से यहां राजस्व के प्रकरण कुछ अधिक भी आते हैं, लेकिन शासन की मंशा है कि प्रार्थी की तुरंत सुनवाई हो। संभागायुक्त ने पूरे संभाग के जिला कलेक्टरों को सख्त हिदायत देते हुए स्पष्ट किया है कि राजस्व का कोई भी प्रकरण पेंडिंग न रहे। प्रार्थी इधर-उधर न भटके। आवेदनकर्ता की तुरंत सुनवाई होने से आम लोगों का शासन-प्रशासन के प्रति भरोसा और विश्वास बढ़ाया है।
संभाग कार्यालय में संभागायुक्त अजातशत्रु श्रीवास्तव के अधीनस्थ पदस्थ अपर आयुक्त रवींद्र कुमार मिश्रा भी उनकी मंशा को पूरा अमली जामा पहनाने में लगे हैं। राजस्व शुरू होने के महज डेढ़ माह में डेढ़ सौ से अधिक राजस्व के लंबित प्रकरणों का निपटान कर श्री मिश्रा त्वरित सरल, सहज न्याय देने के पक्षधर हैं। राजधानी में आने के साथ ही उन्होंने 10 गुना रफ्तार से राजस्व प्रकरणों का निपटान किया है। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश:
-राजस्व के लंबित प्रकरणों को निपटाने के लिए क्या कार्ययोजना बनाई है?
देरी से मिला न्याय भी अन्याय ही होता है। राजस्व से जुड़े प्रकरणों में कई बार पीढिय़ां लग जाती थीं, लेकिन केस सॉल्व नहीं होते थे। इस संबंध में आला अफसरों की स्पष्टवादिता और दूरदर्शिता ने एक मिसाल पेश की है। उनके बनाए पैटर्न को यदि लगन और ईमानदारी से पूरा किया जाए तो कोई भी मामला सुलझाया जा सकता है। फिर काम को बेवजह लटकाने की मेरी आदत नहीं है। बतौर दतिया और पन्ना कलेक्टर रहते हुए मैं मामलों के तीव्र निपटान पर ध्यान देता था। यहां भी सालों से लंबित राजस्व प्रकरणों पर तुरंत सुनवाई कर उनके निर्णय लेने का असर दिखने लगा है। निचले स्तर के अधिकारियों की मॉनीटरिंग करते रहे तो कोई भी मामले लंबे समय तक नहीं अटकते हैं।
-आपने आते ही लंबित प्रकरणों को फुर्ती से निपटाया है? कैसे संभव हो पाया?
मैं क्वालिटी वर्क में विश्वास रखता हूं। प्रकरणों का शीघ्र निराकरण करना मेरी प्राथमिकता होती है। यहां डेढ़ माह पहले आया तो देखा कि निचले अधिकारियों से सांठ-गांठ कर कुछ लोगों ने गलत तरीके से बंटवारा, सीमांकन, नामांतरण करवा लिया है और पीडि़त दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। मैंने आते ही सबकी सख्त मॉनीटरिंग शुरू कर दी। इसका असर हुआ और कामकाज में तेजी आई। लोगों को भी शासन-प्रशासन पर भरोसा बढ़ा। एक अक्टूबर से रेवेन्यू वर्ष शुरू होता है और इस समयकाल में 143 प्रकरणों में से 126 प्रकरणों का निराकरण किया गया है।
-जमीनों के मामले में शिकायतें बहुत होती हैं, उनसे कैसे निपटते है?
यदि आप सही है तो सब सही ही होगा। चूंकि मैं इमानदारी से अपना काम करता हूं तो जहां भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलीं, वहां गहन जांच कराई। अभी हाल ही में गैरतगंज का एक मामला देख रहा हूं, जिसमें बंटवारे के नाम पर तत्कालीन पटवारी, नायब तहसीलदार और एसडीओ को शोकॉज नोटिस भेजा जा रहा है। यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो कार्रवाई करूंगा। ऐसे ही हर शिकायत की जांच की जा रही है।
-क्या राजस्व विभाग के प्रकरणों के निपटान में कोई नवाचार अपनाया है?
सकारात्मक सोच के साथ काम करते रहने से नवाचार आ ही जाते हैं। इस सरकार की खासियत है कि यह अधिकारियों को नवाचार के साथ काम करने की स्वतंत्रता देती है। आईटी का भरपूर प्रयोग करता हूं। सरकार की पूरी सोच ही सकारात्मक है, इसलिए तो आरसीएमएस जैसी ऑनलाइन प्रक्रिया को अपनाकर आम आदमी तक पारदर्शिता लाने का काम किया है। कमजोर और गरीब लोगों के हितों के लिए काम करना सीखा है और वही कर रहा हूं।