मध्यप्रदेश में महालेखागार ने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश के 52 जिलों में गरीब बच्चों
एवं गर्भवति गरीब महिलाओं को राज्य शासन द्वारा दिये जाने वाले पोषण आहार के घोटाले को लेकर कैग ने अपनी
जांच रिपोर्ट में लगभग 25000 करोड़ के बड़े घोटाले को उजागर करते हुए महिला बाल विकास के अधिकारियों से
सप्लायर एवं ठेकेदार से सांठ-गांठ के संदेह के साथ शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। और तो
और बीते विधानसभा सत्र में मध्यप्रदेश सरकार को पोषण आहार घोटाले के हल्लबोल से घबराकर पाँच दिन का सत्र
तीन घंटे 48 मिनट में समाप्त करना पड़ा और यह स्थिति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राजनैतिक रूप से
अस्थिर करने में विरोधियों के लिए औजार के रूप में दिखाई भी पडऩे लगा। पोषण आहार का मामला अभि थमा ही
नहीं है कि, कैग की एक दर्जन अधिकारियों की टीम पुलिस मुख्यालय में कलम दवात लेकर हिसाब पूछ रही है।
पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि कैग है या काग पुलिस मुख्यालय में
चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग कह रहे है कि यह काग उन सबकी पहचान कर लेगा जिस विभाग में एक हजार
करोड़ से अधिक का घोटाले की शिकायत होगी, यह काग उन विभाग की छत पर जाकर बैठ जायेगा। चौंकाने वाला
वाक्या तो यह है कि डायल 100 के सर्वे सर्वा रहे एक बड़े अधिकारी के बारे कैग को सूचित किया गया है कि उक्त
अधिकारी ने अपने व्यक्तिगत खाते में लाखों टके ट्रांसफर करा लिए है। सूत्रों के अनुसार कैग को यह भी बताया गया
है कि जिस वरिष्ठ अधिकारी के खाते में दलाली का पैसा गया है उस घटना से वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ
अधिकारी अनवेश मंगलम का कोई संबंध नहीं है…। खबरची…