नई दिल्ली से विशेष रिपोर्ट: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अंतत: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा पर ही भरोसा जताया है। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति की दो दिवसीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मुख्य मुद्दों में पहला मुद्दा जे.पी. नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाना था और दूसरा मुद्दा जिन 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने है, उनमें गुजरात फार्मूला लागू करते हुए नरेन्द्र मोदी की छवि को 2024 के लोकसभा चुनाव तक देश में सर्व शक्तिमान एवं सर्वाधिक लोकप्रिय जननायक के रूप में स्थापित करना है। राष्ट्रीय हिन्दी मेल के इस प्रतिनिधि की पड़ताल में पता चला है कि, आज कार्य समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई ल्बा भाषण दिया है ऐसा बिल्कुल नहीं है। वे अपनी स्वयं की उपलब्धियों के प्रति आत्म विश्वास से इतने लवरेज थे कि, गृह मंत्री अमित शाह को यह जिम्मेदारी सौंप दी कि, वे जे. पी. नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने के कारणों पर प्रकाश डाले। और हुआ भी यही, गृह मंत्री अमित शाह ने संगठन के चुनाव की प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट किया कि, बूथ लेबल से, मण्डल स्तर, मण्डल स्तर से जिला स्तर और जिला स्तर से राज्य स्तर और राज्य स्तर से राष्ट्रीय स्तर पर सदस्यता के आधार पर चुनाव कराएं जाए। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि, दो साल कोरोना काल में भाजपा की सदस्यता प्रभावित हुई, इसलिए 2023 का वर्ष सदस्यता अभियान का वर्ष है और इसी कारण से राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाया गया है। जे.पी. नड्डा के मुद्दे के बाद अलग- अलग राज्यों के प्रतिवेदनों तथा प्रस्तुतीकरण के विषय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबके सामने चर्चा की, जिसमें तेलंगाना के भाजपा अध्यक्ष बंदी संजय कुमार जो आरएसएस की पृष्ठभूमि से आए है, उनके विषय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों और प्रदेश अध्यक्षों के सामने यह कहने में नहीं चुके कि, संगठन को मजबूत करने के लिए बंदी संजय कुमार का अनुशरण करना चाहिए। सूत्रों के अनुसार बंदी संजय कुमार ने तेलंगाना में भाजपा को जीरो से हीरो की स्थिति में पहुंचा दिया है और उनकी कार्यपद्धति से नरेन्द्र मोदी ने जमकर उत्सुकता जाहिर की, मतलब प्रस्तुतीकरण के मामले में तेलंगाना सबसे आगे रहा। सूत्रों के अनुसार कार्य समिति में इस बात के स्पष्ट संकेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दे दिये है कि, 9 राज्यों में गुजरात फॉर्मूला ही लागू किया जाएगा, जहां विधानसभा के चुनाव होने है, समझा जाता है कि, मध्यप्रदेश और हरियाणा गुजराज फॉर्मूले के निशाने पर है, जहां पर शिवराज सिंह चौहान को बिना हटाए, मुख्यमंत्री के रूप में नया चेहरा महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे किया जाएगा। लेकिन केन्द्री मंत्री नरेन्द्र तोमर, केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक, केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल तथा मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की अनदेखी भी कोई नहीं कर पाएगा। मध्यप्रदेश के ढ़़ाँचे में भाजपा बदलाव की स्थिति में तो पहुंच गई है, लेकिन आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते और मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा भी संगठन में या सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए चुन लिए जाए, तो चौंकिएगा मत। हालांकि दिल्ली की शीत लहर में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति ने राजनैतिक सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश के मामले में गर्म कर दिया है, ऐसा माना जाए और यह गर्म हवा सबसे ज्यादा ग्वालियर, चंबल में महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल की ओर पहुंच गई है। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, त्रिपुरा, मेघालय, नागालेंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान मिजोरम, तेलंगाना और हरियाणा के साथ गुजरात फॉर्मूला लागू करने के निर्णय अघौषित रूप से लिये जा चुके है और दलील दी गई है कि, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा के हिमाचल को लेकर जो अनुभव मिले है, उससे भारतीय जनता पार्टी के पास गुजरात फॉर्मूला ही एकमात्र विकल्प है। राष्ट्रीय कार्यसमिति के समापन के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान ने राष्ट्रीय हिन्दी मेल के इस प्रतिनिधि से कार्य समिति में मध्यप्रदेश के मुद्दे को लेकर हुई चर्चा के सवाल पर उन्होंने भोपाल में भेंट करने की बात कहकर पल्ला झाड दिया, लेकिन इसके पहले उन्होंने अपने बयान में कहा कि, हमारे लिए तो हर साल ही चुनावी साल है। हम नियमित काम करते हैं। चुनावी साल का कंसेप्ट उन लोगों के लिए है जो चार साल काम नहीं करते। इतने वर्षों में मेरा लक्ष्य तो आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश बनाने पर ही रहा है। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश की सरकार और संगठन में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर लगातार चल रही सुगबुगाहट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हूं। पार्टी कहेगी कि दरी बिछाओ, तो वह भी मैं करने को तैयार हूं। जो भी पार्टी तय करेगी, वह मैं करूंगा। उल्लेखनीय है कि, इस तरह के बयान शिवराज सिंह चौहान केवल उस समय देते है, जब उन्हें आभास हो जाता है कि, कुछ गड़बड़ होने वाला है, फिर वे गड़बड़ी को ठीक करने में जुट जाते है, लेकिन भाजपा की दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक का समापन और उसकी भव्यता बड़े-बड़े बदलावों के संकेत के साथ लुटियन दिल्ली की हर कोठी में चर्चा का विषय बन गई है। सबको इंतजार होगा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बयान का क्या अर्थ निकलने वाला है, जिसमें उन्होंने कहा है कि, हम अति आत्मविश्वास के कारण चुनाव हार जाते है, जैसा कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुआ था। यह बात अलग है कि, प्रधानमंत्री में मध्यप्रदेश में शिवराज की सत्ता हासिल हुई इसका जिक्र नहीं किया, लेकिन महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के योगदान में दोनों नेताओं की नजर है। इस विशेष रिपोर्ट का निष्कर्ष अंतत: दो मायनों में महत्वपूर्ण है, जिसमें पहला है भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए कांग्रेस से आए महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया का महत्व बढ़ा है और दूसरा है चार वर्षों तक लगातार अपनी जान की बाजी लगाकर डंड़े गोली खाने वाले मालवा के नेता भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के संघर्षों की गाधा इस कार्यसमिति में अनटोल्ड स्टोरी है। इसलिए कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे लाने के लिए या उनको साथ लेकर स्वयं आगे निकलने के लिए महत्वपूर्ण बन जाए तो आश्चर्यजनक कोई राजनैतिक बड़ी घटना नहीं होगी।
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