इंदौर से विशेष रिपोर्ट: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
भारतीय राजनीति में आज सबसे बड़ी चुनौती है, अपने स्वयं के जन नायक होने की विश्वसनीयता को बनाये रखना और जनता के भरोसे को प्रतिपल जीतने की कोशिशों में कोई कमी नहीं छोडऩा। इस लिहाज से यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को 2023 में ही जीतने का मिशन बना लिया है, ऐसा माना जाए, तो इसमें कोई आतिशयोक्ति नहीं हो सकती। जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह ने 2023 में जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनकी लगातार सर्वे रिपोर्ट प्राप्त करते हुए विपक्ष अर्थात् राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की विवादित लेकिन अविश्वसनीय चुनौतियों से निपटने की रणनीति बनाई है, उसका खुलासा ‘राष्ट्रीय हिन्दी मेल’ के इस प्रतिनिधि की पड़ताल में पिछले 10 दिन के दौरों के बाद आंशिक रूप से सफलता के नजदीक पहुंचा है। इस प्रतिनिधि ने 8-9-10 जनवरी को इंदौर में सबसे पहले प्रवासी भारतीय दिवस से शुरू हुए केन्द्र सरकार के प्रति विदेश में रहने वाले भारतीयों की प्रधानमंत्री के प्रति आस्था को परखने की कोशिश की, तो पता चला कि जिन प्रवासी भारतीयों के बीच में 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अपू्रवल रेट मात्र 24 प्रतिशत था, वह पिछले 3 वर्षों में ही आसमान छूने लगा है। अकेले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का, स्वयं का अपू्रवल रेट यदि मध्यप्रदेश की बात करें, तो प्रवासी भारतीय दिवस से शुरू हुए जीआईएस के समापन तक और उसके बाद खेलो इंडिया यूथ गे्स की मेजबानी के साथ मध्यप्रदेश में अब 80 प्रतिशत के करीब पहुंच गया है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार एंटीइन्कमबेंसी फैक्टर जो पिछले 2 वर्षों में 68 प्रतिशत के करीब पहुंच गई थी, उसमें भी उपरोक्त तीनों अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजनों की वजह से मालवा में अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जहां एक ओर लगातार 20 वर्ष के मुख्यमंत्री के रूप में एंटीइन्कमबेंसी फैक्टर में कमी आई हैं, वहीं पर दूसरी ओर केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इस वक्त सोने में सुहागा का काम किया है। जीआईएस के समापन में ज्योतिरादित्य सिंधिया की डिलेवरी का असर रूके हुए प्रवासी भारतियों एवं जीआईएस में मध्यप्रदेश के लिए पूंजी निवेश करने आए लोगों के प्रति शिवराज सरकार का आकर्षण बढ़ाया है, ऐसा माना जाए, तो आश्चर्य कुछ भी नहीं होगा। ‘राष्ट्रीय हिन्दी मेल’ टीम की यह सतही रिपोर्ट मालवा- अंचल के इंदौर-उज्जैन- देवास-रतलाम-मंदसोर और नीमच से तैयार की गई है, जिसकी विश्वसनीयता का आधार हमारी टीम की गैर राजनीतिक लोगों से बातचीत सबसे बड़ी विश्वसनीयता है। हमारा यह दावा नहीं है कि जो हमने पाया है, वही सब कुछ सच है, लेकिन यह बात विश्वास करने लायक है कि पत्रकारिता की समझ रखने वाले लोगों के लिए हमारी पड़ताल सच्चाई के नजदीक है। बता दें हमने उपरोक्त आधे दर्जन सभी जिलों में खेलो इंडिया-जीआईएस और प्रवासी भारतीय के प्रति गुड गर्वनेंस को लेकर प्रशासनिक प्रतिबद्धता का भी पता लगाया, जिसमें यह लिखने में संकोच नहीं है कि उपरोक्त तीनों अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से सभी जिलों के कलेक्टर-कमिश्नर और पुलिस के आला अफसरों सहित निचले स्तर की नौकरशाही में भी आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है और इसका फायदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वजह से मालवा-अंचल में यदि भारतीय जनता पार्टी की बात करें, तो सर्वप्रथम कैलाश विजयवर्गीय जो अनशीन ज्यादा रहे उन्हें, फिर भारतीय जनता पार्टी में केसरियामय हो चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया और सर्वाधिक फायदा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मिला है, ऐसा लिखा जाए तो गलत नहीं होगा। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि मालवा-अंचल से मिली सतही जानकारी भी अब यह संकेत देती है कि यदि मध्यप्रदेश में गुजरात फार्मूला लागू भी किया जाएगा तो शायद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपेक्षा संभव ना हो तो चौंकिएगा मत…।
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