आरक्षण पर निर्णय नहीं, पदोन्नति भी नहीं PWD ने क्रमोन्नति का बनाया फार्मूला

विशेष-रिपोर्ट:संदीप नेपोलियन
मध्यप्रदेश में पदोन्नति-क्रमोन्नति, पुरानी पेंशन की मांगों को लेकर 2023 विधानसभा चुनाव का वर्ष है। और ऐसे समय में सत्तारूढ़ दल के पास नाराज शासकीय कर्मचारियों को मनाने, पटाने और उनका हक दिलाने के विकल्प को लागू करने के अलावा कोई चारा नहीं है। बता दें कि, शासकीय कर्मचारियों के आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का समुचित फैसला आज भी लंबित है, परन्तु आरक्षण का फैसला ना होने से हैरान परेशान लाखों शासकीय कर्मचारियों के हक को दिलाने में अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार भी विफल है, यही कारण है कि, समय पर पदोन्नति ना होने से कई बेचारे शासकीय कर्मचारी रिटायर्ड हो गए और उनके परिवार में निराशा के अलावा उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा है। मतलब जिस पद पर उन्हें रिटायरमेंट के पहले पदोन्नति के साथ पहुंचना था वहां नहीं पहुंच पाए। अब मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं चलेगा, इस चुनौती से पार पाने के लिए लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने वैकल्पिक फार्मूला तैयार कर लिया है। बता दें कि, पूरा लोक निर्माण विभाग प्रभारी अधिकारियों के भरोसे ही चल रहा है, क्योंकि पदोन्नति वाली पगार तो कर्मचारियों को मिल रही है। परन्तु कानूनी हक उक्त पद के लिए, आज भी खोज का विषय है। या यूं कहा जाए कि, पदोन्नति के पद पर कार्य करने का अवसर उपलब्ध है, परन्तु वह पद नहीं जिसका वह कानूनी रूप से हकदार है। इन्हीं कश्मकश में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार से शासकीय कर्मचारी बेवजह नाराज चल रहे है और धरना प्रदर्शन को हक प्राप्त करने का एक मात्र साधन समझ चुके है। लेकिन इस नाराजगी को स्थायी रूप से दूर करने के लिए, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने पदोन्नति का नया फार्मूला इजात किया है। बता दें कि प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह के इस फार्मूले के चलते अब यदि आप लोक निर्माण विभाग में उपयंत्री है और प्रभारी सहायक यंत्री बनकर काम कर रहे है तो अब ऐसा नहीं होगा। मतलब यदि स्वीकृत 1431 उपयंत्री के पद है तो मात्र 1290 कार्यरत है तो, अब प्रभारी सहायक यंत्री पदोन्नति के बाद संपूर्ण रूप से सहायक यंत्री अर्थात् एसडीओ कहलाएंगे। ठीक इसी तरह सहायक यंत्री के पद पर भी 540 की संख्या स्वीकृत है लेकिन उस पर 450 सहायक यंत्री कार्यरत है। इनमें प्रतिनयुक्ति वाली संख्या शामिल नहीं है, लेकिन प्रभार में कार्यपालन यंत्री अब पदोन्नति के बाद पूर्णकालिक कार्यपालन यंत्री ही रह पायेंगे। और 155 स्वीकृत कार्यपालन यंत्री के पद पर यदि मात्र 38 कार्यरत है तो प्रभारी कार्यपालन यंत्रियों की पदोन्नति का लाभ उन्हें क्रमोन्नति के रूप में मिल जाएगा। यह सिलसिला अधीक्षण यंत्री और मुख्य अभियंताओं की क्रमोन्नति में भी जारी रहेगा। अधीक्षण यंत्री के 36 पद में 24 ही कार्यरत है और मुख्य अभियंताओं के 16 स्वीकृत पदों पर मात्र दो ही मुख्य अभियंता कार्यरत है। लेकिन सुखबीर सिंह के फार्मूले से अब सभी प्रभारी पदों पर बैठे हुए, यंत्रियों एवं कर्मचारियों को क्रमोन्नति दे दी जायेगी और शासन पर कोई वित्तीय भार नहीं आएगा। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने उक्त फार्मूले को सरकार द्वारा स्वीकृत करते हुए, ‘राष्ट्रीय हिन्दी मेल’ के इस प्रतिनिधि से कहा कि, उपरोक्त फार्मूला यदि क्रियान्वित किया जाता है तो प्रभारी कर्मचारियों को नियमित पदोन्नति जैसे पद पर क्रमोन्नति के साथ काम करने का सनजनक अवसर प्राप्त होगा। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि यदि पीडब्ल्यूडी द्वारा अपनाया गया क्रमोन्नति वाला उपरोक्त फार्मूला सभी विभागों में लागू कर दिया जाये तो, लाखों शासकीय कर्मचारियों के सभी परिवार लाभान्वित होंगे, जिन्हें आरक्षण के मुद्दे का सर्वाेच्च न्यायालय में लंबे समय से लंबित निर्णय के कारण पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया है।