बहनों के लिए बजट में दम… बहनें कलेक्टर हुई कम

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा के 2023-24 के आम बजट में बहनों के लिए सबसे ज्यादा दम भरा है।क्योंकि मुख्यमंत्री अपनी पहली पारी की शुरूआत से लेकर आज तक प्रतिवर्ष महिलाओं के लिए और युवा महिलाओं के लिए, लोक लुभावन नीति का जो प्रदर्शन किया है वह अद्भुत है। बता दें कि, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने जब बजट भाषण पढ़ा, तब तक उन्हें भी यह पता नहीं था कि, मुख्यमंत्री के निर्देश पर वित्त विभाग के अधिकारियों ने महिलाओं के लिए, बजट मेंक्या-क्या प्रावधान कर डाले है, बहनों का बजट तब सामने आया जब जगदीश देवड़ा ने 12वीं कक्षा की छात्राओं को मैरिट में आने पर ई-स्कूटी देने की घोषणा कर डाली। इस दावे से इंकार नहीं किया जा सकता कि, शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के लिए बजट पर जितना प्रावधान किया है, वह देश के किसी भी राज्य के बजट में, महिलाओं के लिए बजट में किए गए प्रावधान की तुलना में सबसे ऊपर है। कन्या विवाह योजना, निकाह योजना, प्रसूति सहायता योजना, मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना, विभिन्न सामाजिक पेंशन योजना और लाड़ली बहना योजना। यूं कहा जाए कि, लाड़ली लक्ष्मी योजना से शुरूआत अब मध्यप्रदेश में महिलाओं की जिन्दगी में बजट के माध्यम से उड़ान भरने की स्थिति में पहुंच गया है, लेकिन दूसरी और मध्यप्रदेश में अभी भी, महिला शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों में वैसा उत्साह नहीं पनप पाया, जैसा कि, महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए अन्य सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार यदि 50 प्रतिशत ना सही केवल 30 प्रतिशत शासकीय महिला कर्मचारी एवं अधिकारियों को जिम्मेदार बनाया गया और उनका महत्व पदस्थापना के समय ध्यान में रखा गया, तो यह कहने में और लिखने में संकोच नहीं है कि महिलाओं के पक्ष में बनाई गई नीतियों का क्रियान्वयन भी शत्-प्रतिशत हो जाएगा। और तो और जब हम महिला पुलिस अधीक्षकों और जिला कलेक्टरों की बात करते है तो जाने अनजाने में ही सही मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस महिला आईएएस अधिकारियों के प्रति बिल्कुल उदास नहीं है। महिला आईएएस अधिकारी और महिला आईपीएस अधिकारी जो कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक नहीं बन पाई है, उनके दिल से पूछिए कि उनके दिल परक्या गुजर रही है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने तो, जितनी महिलाओं को जिलों से वापस बुलाया है, उनकी जगह महिलाओं के पदस्थापना के प्रति उतनी ही संख्या में उन्हें पदस्थ करने के मामले में कंजरवेटिव हो गए है। 2008 बैच की आईएएस अधिकारी श्रीमती उर्मिला शुक्ला जिनके खिलाफ कोई विभागीय जांच नहीं है, आज तक कलेक्टर नहीं बन पाई। अब तो श्रीमती उर्मिला शुक्ला अपने आप को आईएएस अधिकारी कहने में भी संकोच करती है। लेकिन इस तरह के साफ सुथरे कैरियर वाली महिलाओं को भी निराश होना पड़ता है। वह भी उस प्रदेश में जिसे आप अजब भी और गजब भी कहते है माना कि 2023-24 का बजट महिलाओं पर केन्द्रीत है, शिवराज जी आप पाँचवी बार सरकार भी बना लेंगे। लेकिन महिला कर्मचारियों और अधिकारियों की निराशा को दूर कैसे करेंगे यह एक चुनौती भरा सवाल है, बता दें कि, जब से सागर कलेक्टर रह चुकी प्रीति मैथिल नायक और राजगढ़ कलेक्टर रह चुकी निधी निवेदिता तथा खण्डवा की कलेक्टर रह चुकी सुश्री तनवी सुन्द्रियाल को वापस भोपाल बुलाया गया है, तब से महिला आईएएस अधिकारियों में सूत्रों के अनुसार निराशा का माहौल मंत्रालय में आसानी से देखा जा सकता है। लेकिन पता नहीं मुख्य सचिव को महिला आईएएस अधिकारियों से दिक्कतक्या है, जिनके खिलाफ कोई विभागीय जांच नहीं है यह मामला समझ के परे है। कुछ थोड़े समय के लिए आईएएसी बनाई गई महिला कहती है बहनों के लिए बजट में दम है लेकिन बहनें कलेक्टर हुई कम है लेकिन मुख्यमंत्री का ध्यान कब जाएगा इस पर…। खबरची